मंजीत ठाकुर / नई दिल्ली
जैसे ही गहन गंभीर आवाज में रामकथा की शुरुआत हुई और उसके साथ रामकथा के पात्र संगीतमय प्रस्तुति देने मंच पर आए अदब के माहौल में भारतीय तहजीब के प्रतीक पुरुष राम उपस्थित हो गए. दास्तान ए इमाम ए हिंद - ए लिरिकल रेंडिशन ऑफ द इटरनल एपिक दर्शकों के दिलों पर छाप छोड़ गया. लोग जुटते गये और भीड़ बढ़ती गई और थोड़ी ही देर में तिल रखने की जगह न बची.
दर्शकों में मौजूद मुंबई से आए पत्रकार बृजनंदन द्विवेदी कहते हैं, "यह बहुत शानदार प्रस्तुति थी. रोमांचक संगीत और अभिनय रहा. खासतौर पर उर्दू में रामकथा हमारी तहजीब को बयान करता है. कैकेयी और रावण के पात्रों का अभिनय बेमिसाल रहा."
रामकथा की उर्दू शायरी के साथ संगीतमय प्रस्तुति ने साबित कर दिया कि तहजीब की गंगा में भाषाओं की नदियों का जल प्रवाहित होता है.
दर्शकों में रावण के किरदार को देखकर कमाल का उत्साह था. इस नाट्य प्रस्तुति में बीच में कथा प्रवाह को आगे बढ़ाने के लिए नृत्य का इस्तेमाल काफी प्रभावी साबित हुआ.
दर्शकों के उत्साह और उनकी मौजूदगी से साबित हो गया है कि अधिकांश लोग आज भी गंगा जमुनी तहजीब के कायल हैं.