लेह
लद्दाख को राज्य का दर्जा और संवैधानिक संरक्षण दिलाने की मांग को लेकर लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने मंगलवार को नए आंदोलन की घोषणा की है। दोनों संगठनों ने केंद्र सरकार के साथ बातचीत शुरू करने से पहले 24 सितंबर की हिंसा की न्यायिक जांच जैसी प्रमुख शर्तों को दोहराया है।
एलएबी और केडीए ने मिलकर यह फैसला किया है कि आने वाले दिनों में पूरे लद्दाख में सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक मौन मार्च और शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक 'ब्लैकआउट' (बत्तियाँ बुझाकर विरोध) किया जाएगा। हालांकि विरोध की तारीख अभी घोषित नहीं की गई है, लेकिन यह प्रदर्शन कुछ ही दिनों में शुरू किया जाएगा।
केडीए के सह-अध्यक्ष असगर अली करबलाई ने वरिष्ठ नेताओं चेरिंग दोरजय लकरुक और सांसद मोहम्मद हनीफा जान के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा:“हमारा विरोध यह बताता है कि लद्दाख आज भी अंधेरे और भय के वातावरण में जी रहा है। हम तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक हमें न्याय और हमारे संवैधानिक अधिकार—विशेष रूप से राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा—नहीं मिल जाते।”
उन्होंने कहा कि वे गृह मंत्रालय और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन से संवाद में हैं, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि बातचीत सिर्फ लिखित आश्वासन के बाद ही शुरू की जाएगी।
24 सितंबर की हिंसा की सुप्रीम कोर्ट के जज से न्यायिक जांच
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गौरतलब है कि 24 सितंबर को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान चार लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे।
करबलाई ने कहा:“हम उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं और हमारा यह शांतिपूर्ण विरोध यह दर्शाता है कि लद्दाख की जनता अब और चुप नहीं बैठेगी। जब तक हमें संविधान में स्थान नहीं मिलता, हमारा आंदोलन जारी रहेगा।”