आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
खुटी पूजा, दुर्गा पूजा उत्सव शुरू करने के लिए, पंडाल लगाने से पहले एक पारंपरिक अनुष्ठान है. खुटी पूजा का मतलब है बांस के खंभों की पूजा करना जिससे अगले कुछ महीनों में दुर्गा पूजा का पंडाल खड़ा हो जाएगा. खुटी पूजा परंपरा सदियों पुरानी 'कथमो पूजा' या लकड़ी के फ्रेम की परंपरा से आती है, जिस पर 'बोनेदी बरिर पूजा' (घरेलू पूजा) में मिट्टी की मूर्ति बनाई जाती है.
कोलकाता में दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरु हो गई हैं और इसी क्रम में हर पूजा पंडाल ‘खूंटी पूजा’ कर रहे हैं. जब पंडाल की नींव रखी जाती है तो जगन्नाथ जी के उल्टा रथ के बाद रथ की लकड़ी को लेकर पूजा कर उसे ज़मीन में गाड़ा जाता है, जिसे खूंटी पूजा कहते हैं. इसी दिन से पंडाल बनाने की प्रक्रिया शुरु होती है.
भारत में ऐसे कई इलाके हैं, जहां कौमी एकता की बड़ी मिसालें देखने को मिलती हैं. धर्मों को लेकर टकराव के बीच ही हिंदू और मुसलमान एक दूसरे के न सिर्फ साथ खड़े दिखते हैं, बल्कि धार्मिक आयोजनों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं.
ऐसा ही कुछ दक्षिण कोलकाता के शिव मंदिर दुर्गा पूजा पंडाल में देखने को मिलता है. यहां दुर्गा पूजा पंडाल में खूंटी पूजा कार्यक्रम में हिंदू-मुसलमान एकता की अनोखी तस्वीर दिखाई देती है.
इस इलाके में रहने वाले एक मुसलमान परिवार ने ‘खूंटी पूजा’ के दौरान न सिर्फ कार्यक्रम में भाग लिया बल्कि सभी को आपने घर में बनी खीर भी खिलाई. पेशे से व्यवसाई मुदर पथेरिया और उनकी पत्नी शालिनी पथेरिया सालों से हर साल ‘खूंटी पूजा’ के दिन अपने पड़ोसियों का मुंह मीठा कराते रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मैं इस इलाके में रहता हूं और कोई ऐसा साल नहीं होता है जब मैं शिव मंदिर समिति के पूजा पंडाल में नहीं जाता हूं. ये मेरी तरफ से प्रयास है यह बताने का कि ‘मैं भी आपमें से ही एक हूं.’
इस साल दुर्गा पूजा 20-24 अक्टूबर को
इस साल दुर्गा पूजा 20-24 अक्टूबर को है, जिसकी तैयारी अभी से शुरु हो गई है. इसके लिए कई बड़े पूजा पंडाल बनते हैं जिन्हें बनाने में कई महीनों का समय लग जाता है. दुर्गा पूजा का यह पर्व नवरात्रि से शुरू हो जाता है. पूरे देश में ही इसकी धर्मिक धूम रहती है.