उपमुख्यमंत्री ने कहा,“मैंने यह प्रार्थना बीजेपी की टांग खींचने के लिए गाई थी, न कि आरएसएस की प्रशंसा करने के लिए। कुछ लोग इसका राजनीतिक अर्थ निकाल रहे हैं और जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। मेरी मंशा बिल्कुल वैसी नहीं थी।”
इस बयान को लेकर कांग्रेस के भीतर और विपक्ष में चर्चा शुरू हो गई थी। भाजपा ने इसे कांग्रेस की "छद्म धर्मनिरपेक्षता" करार दिया था, वहीं कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी इस पर आपत्ति जताई थी।
शिवकुमार ने यह भी कहा,“1980से मैं कांग्रेस पार्टी का वफादार सिपाही रहा हूँ। मैं कांग्रेस में जन्मा हूँ और कांग्रेस में ही मरूंगा। मेरी निष्ठा और विचारधारा पर कोई सवाल नहीं उठा सकता।”
उन्होंने बताया कि राजनीति में आने से पहले उन्होंने एनएसयूआई, कांग्रेस, गांधी परिवार, और साथ ही आरएसएस, बीजेपी, जेडीएस, वामपंथी दलों समेत विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं का अध्ययन किया था।
अपने बयान में उन्होंने दिल्ली की तिहाड़ जेल में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस में अपनी गिरफ्तारी को भी याद किया और कहा,“अगर कोई मेरी विचारधारा, प्रतिबद्धता या राजनीतिक इतिहास को लेकर राजनीति करना चाहता है, तो यह उनका विषय है। मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।”