झारखंड: ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार की तैयारी में नेमरा गांव, शोक की लहर

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 05-08-2025
Jharkhand: Nemra village preparing for the last rites of 'Dishom Guru' Shibu Soren, wave of mourning
Jharkhand: Nemra village preparing for the last rites of 'Dishom Guru' Shibu Soren, wave of mourning

 

रांची

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सह-संस्थापक शिबू सोरेन के निधन के बाद उनके पैतृक गांव नेमरा में गहरा शोक छा गया है। गांव की गलियों में मौन और उदासी का माहौल है, वहीं देशभर से लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।

81 वर्षीय शिबू सोरेन का सोमवार को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में गुर्दा रोग के इलाज के दौरान निधन हो गया।उनके पार्थिव शरीर को मंगलवार को पूरे आदिवासी रीति-रिवाजों के साथ उनके गांव लाया गया, जहां उसे फूलों से सजी चारपाई पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। ताबूत को तिरंगे और झामुमो के झंडे से ढका गया था।

उनकी पत्नी रूपी सोरेन व्हीलचेयर पर बैठी थीं और अपने आंसू नहीं रोक पा रही थीं, वहीं बेटा और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, विधायक बसंत सोरेन और बहू कल्पना सोरेन गहरी भावनाओं में डूबे शांत मुद्रा में दिखाई दिए। कल्पना अपने दोनों बेटों को ढाढ़स बंधाती रहीं।

गांव का हर कोना श्रद्धा और शोक से भरा हुआ है। अंतिम दर्शन के लिए आने वाले लोगों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है।जब उनका शव रांची विधानसभा परिसर से करीब 75 किलोमीटर दूर स्थित गांव लाया जा रहा था, तब रास्ते भर "गुरुजी अमर रहें" के नारे लगते रहे। लोग सड़कों के दोनों ओर कतार में खड़े होकर उन्हें अंतिम विदाई दे रहे थे।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, सफेद कुर्ता-पायजामा और कंधे पर पारंपरिक गमछा डाले हुए, हाथ जोड़कर वाहन में बैठे थे। उनके साथ पूरे काफिले में समर्थकों और नेताओं का हुजूम था।

राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार नेमरा गांव में किया जाएगा। गांव में अंतिम संस्कार की व्यापक तैयारियां चल रही हैं।इस बीच, झारखंड सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। झारखंड के अधिकांश विद्यालय बंद रहे और कई स्कूलों में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं।

राज्यसभा और विधानसभा की कार्यवाही को भी दिवंगत नेता के सम्मान में स्थगित कर दिया गया है।इससे पहले, उनका पार्थिव शरीर दिल्ली से विशेष विमान के माध्यम से रांची लाया गया। विमान से उतरने के बाद पार्थिव शरीर को फूलों से सजे खुले वाहन में मोरहाबादी स्थित आवास ले जाया गया।

राज्यपाल संतोष गंगवार, विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो, केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम, अन्नपूर्णा देवी, सांसद संजय सिंह, पप्पू यादव, शताब्दी रॉय, कई मंत्री, विधायक, अधिकारी, झामुमो कार्यकर्ता और आम नागरिकों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

कल्पना सोरेन ने भावुक होकर कहा,"सब कुछ वीरान हो गया है... आपका संघर्ष, आपका प्यार, आपका विश्वास – आपकी यह बेटी कभी नहीं भूलेगी।"मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर एक गहन भावुक पोस्ट साझा करते हुए लिखा:"मेरे जीवन के सबसे कठिन दिनों में से एक है। मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया, झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया।"

उन्होंने लिखा कि शिबू सोरेन की जीवन यात्रा एक साधारण गांव नेमरा से शुरू होकर झारखंड के जनसंघर्ष का प्रतीक बन गई।"बचपन में उन्होंने पिता को खो दिया था, लेकिन जमींदारी के अत्याचार ने उन्हें संघर्ष की राह पर ला खड़ा किया।"

हेमंत ने याद किया:"मैंने उन्हें हल चलाते देखा, लोगों के बीच बैठते देखा। वो सिर्फ भाषण नहीं देते थे, वो लोगों के दुःख को अपना मानते थे।"उन्होंने यह भी लिखा:"जब मैं उनसे पूछता था, 'बाबा, आपको लोग दिशोम गुरु क्यों कहते हैं?' वो मुस्कुरा कर कहते, ‘क्योंकि बेटा, मैंने सिर्फ उनका दुख समझा और उनकी लड़ाई अपनी बना ली।’"

उन्होंने कहा कि यह उपाधि न संसद ने दी, न किसी किताब ने, यह झारखंड की जनता के दिलों से निकली आवाज थी।"बचपन से मैंने उन्हें संघर्ष करते देखा। वे कहते थे – ‘अगर अन्याय के खिलाफ खड़ा होना अपराध है, तो मैं बार-बार दोषी बनूंगा।’"

झारखंड की राजनीति में शिबू सोरेन की भूमिका एक युग की तरह थी। ग्रामीणों, नेताओं और आम लोगों का कहना है कि उनका निधन एक ऐतिहासिक अध्याय का अंत है।
उन्होंने जीवनभर जनजातीय अधिकारों, किसानों, मज़दूरों और शोषितों की लड़ाई लड़ी।

अब पूरा झारखंड ‘दिशोम गुरु’ को अलविदा कहने की तैयारी में है, लेकिन उनके विचार, उनके संघर्ष और उनके सिद्धांत झारखंड की आत्मा में सदा जीवित रहेंगे।