Jammu and Kashmir: After 46 years of legal proceedings, the case of culpable homicide is finally closed.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
जम्मू कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने 46 साल पहले दर्ज किए गए गैर इरादतन हत्या के एक मामले में दोषी ठहरायी गयी 70 वर्षीय महिला को रिहा कर दिया है।
जम्मू कश्मीर में बारामूला जिले के उरी की निवासी शमीमा बेगम को 1979 में अपनी सास के साथ हुई झड़प के दौरान अपने पति की दादी को गंभीर रूप से घायल करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
घटना के चार दिन बाद घायल महिला की मौत हो गई थी और अभियोजन पक्ष ने आरोपी के खिलाफ हत्या का आरोप लगाया था। तीस साल तक चले मुकदमे के दौरान बेगम को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-2 के तहत दोषी ठहराया गया और 2009 में उसे पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।
उसने उसी वर्ष उच्च न्यायालय में सजा के खिलाफ अपील की और कारावास की अवधि कम करने का अनुरोध किया।
न्यायमूर्ति संजय परिहार ने मामले का निपटारा करते हुए उच्चतम न्यायालय के कई फैसलों का हवाला दिया और 70 वर्षीय महिला को रिहा कर दिया।
अदालत ने अपने पांच पृष्ठों के आदेश में कहा, ‘‘अपील स्वीकार किए जाने के समय अपीलकर्ता ने दोषसिद्धि को चुनौती न देने का इरादा व्यक्त किया था और अपराध दंड संहिता की धारा 562 के तहत परिवीक्षा पर रिहाई पर विचार करने का अनुरोध किया था। हालांकि, राज्य ने अपील दायर करने का इरादा जताया था, जिसे कभी आगे नहीं बढ़ाया गया।’’
इसमें कहा गया है कि यह अपराध आवेश में आकर और बिना पूर्व योजना के किया गया था।