आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) 31 मार्च 2026 के बाद यमुना के डूब क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करेगा।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें क्षेत्र से हटने के 11 दिसंबर के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद डीएमआरसी द्वारा डूब क्षेत्र में 'बैचिंग प्लांट' और 'कास्टिंग यार्ड' संचालित करने का मुद्दा उठाया गया है।
अदालत ने 22 दिसंबर के एक आदेश में कहा कि यह "आश्चर्यजनक" है कि डीएमआरसी के ‘बैचिंग प्लांट’ और ‘कास्टिंग यार्ड’ को हटाने के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पीठ ने गौर किया कि डीएमआरसी ने इसके लिए और समय की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
पीठ ने कहा कि यह अदालत एक अपवाद के तौर पर मशीनरी, उपकरणों और ‘बैचिंग प्लांट’ व ‘कास्टिंग यार्ड’ आदि को वहां से हटाने के लिए 31 मार्च 2026 तक का समय देना उचित समझती है, क्योंकि डीएमआरसी दिल्ली शहर में एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजना और सहायक विकास कार्यों में लगी हुई है।
अदालत कहा कि एक अप्रैल से डीएमआरसी अपनी गतिविधियों के लिए इस क्षेत्र के किसी भी हिस्से का उपयोग नहीं करेगी।
आदेश में निर्देश दिया गया है कि अपनी गतिविधियां बंद करने और उपकरण हटाने के बाद डीएमआरसी बागवानी और वन विभाग के परामर्श से यह सुनिश्चित करेगी कि उनके कब्जे वाला क्षेत्र खुला छोड़ दिया जाए और वहां कोई मलबा नहीं हो और इसे इसकी मूल स्थिति में बहाल किया जाए।
पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को सौंपे जाने से पहले डूब क्षेत्र से मलबा पूरी तरह साफ किया जाए।
अदालत ने डीडीए को 10 अप्रैल तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।