जमाअत उपाध्यक्ष ने देशभर में SIR पर उठाए अहम सवाल

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 29-10-2025
Jamaat Vice President raises important questions about SIR across the country; warns of boycott-like situation in Bihar
Jamaat Vice President raises important questions about SIR across the country; warns of boycott-like situation in Bihar

 

नई दिल्ली

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोअतसिम खान ने मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट के देशव्यापी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की घोषणा पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की है कि बिहार में हाल ही में हुए SIR के अनुभवों से सीख लेकर इस प्रक्रिया में पारदर्शिता, निष्पक्षता और समावेश सुनिश्चित किया जाए, ताकि वोटरों के नाम बड़े पैमाने पर हटने जैसी स्थिति दोबारा न बने।

मीडिया को जारी बयान में मलिक मोअतसिम खान ने कहा, “बिहार SIR में गंभीर गड़बड़ियां, अव्यवहारिक टाइमलाइन और पारदर्शिता की कमी सामने आई। प्रारंभिक ड्राफ्ट लिस्ट से लगभग 65 लाख नाम हटाए गए, जो अभूतपूर्व संख्या थी। सुधारों के बाद भी करीब 47 लाख वोटरों को बाहर किया गया। इस प्रक्रिया में जिम्मेदारी नागरिकों पर डाली गई, जबकि यह प्रशासनिक संशोधन होना चाहिए था। यदि इसे पूरे देश में लागू किया जाता है, तो ECI को ऐसे अहम सवालों के जवाब देने होंगे जो लोकतंत्र और पारदर्शिता के लिए जरूरी हैं।”

उन्होंने कई ज़रूरी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि बिहार के अनुभव से क्या सबक लिया गया और SIR गाइडलाइन में कौन से बदलाव किए गए। उन्होंने दूसरी फेज़ के लिए ECI द्वारा निर्धारित समय सीमा पर भी सवाल उठाया और कहा कि सिर्फ एक महीने में इतनी बड़ी प्रक्रिया करने से कई दिक्कतें पैदा होंगी।

साथ ही, उन्होंने 2002/2003 को कटऑफ साल के तौर पर लगातार इस्तेमाल करने पर आपत्ति जताई, क्योंकि उस समय कोई नागरिकता सत्यापन नहीं हुआ था। उन्होंने पूछा कि क्या “अवैध विदेशी” की पहचान अब भी SIR का उद्देश्य है। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद आधार को नागरिकता के सबूत के रूप में क्यों नहीं स्वीकार किया जा रहा, जबकि अन्य दस्तावेज स्वीकार किए जा रहे हैं, यह भी उन्होंने उठाया।

मलिक मोअतसिम खान ने घर-घर वेरिफिकेशन प्रक्रिया पर भी संदेह जताया और पूछा कि ड्राफ्ट स्टेज में नए वोटर्स को जोड़ने की अनुमति कैसे दी जाएगी। उन्होंने अधिकारियों या बूथ लेवल ऑफिसरों (BLOs) द्वारा फॉर्म बिना सहमति के भरने की रिपोर्ट का हवाला देते हुए ऐसे धोखाधड़ी से बचाव के उपायों की मांग की। प्रवासी मजदूरों के वोटिंग अधिकार और दस्तावेजों की कमी को भी उन्होंने गंभीर चिंता बताया।

समावेशिता के मामले पर उन्होंने बिहार SIR में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में आई कमी पर सवाल उठाया और पूछा कि ऐसी असंतुलित स्थिति को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिन लोगों को लिस्ट से हटाया गया, उन्हें नोटिस और सुनवाई का अवसर मिलेगा या उन्हें दोबारा “नए वोटर” के रूप में आवेदन करने के लिए मजबूर किया जाएगा।

इसके अलावा, उन्होंने आम पहचान दस्तावेज़ जैसे PAN कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, MNREGA जॉब कार्ड, राशन कार्ड और बैंक पासबुक को क्यों अनुमोदित लिस्ट से हटाया गया, इस पर भी क्लैरिटी मांगी।

तकनीकी पारदर्शिता और सटीकता पर जोर देते हुए मलिक मोअतसिम खान ने पूछा कि क्या ECI ने असरदार डी-डुप्लीकेशन सिस्टम लागू किया है और क्या सार्वजनिक जांच के लिए मशीन-रीडेबल ड्राफ्ट और पूर्ण निर्वाचक नामावली जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि ये कदम वोटरों का भरोसा बनाए रखने और हेरफेर या गलती रोकने के लिए अनिवार्य हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया, “निर्वाचक नामावली में बदलाव नागरिकता सत्यापन अभियान जैसा नहीं होना चाहिए। वोट देने का अधिकार सुरक्षित रहना चाहिए, इसे प्रशासनिक तरीकों से बाधित नहीं किया जाना चाहिए।” उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की कि सभी मुद्दों पर सार्वजनिक सफाई दें और सुनिश्चित करें कि किसी भी नागरिक को दस्तावेजों या प्रशासनिक अस्पष्टताओं के कारण वोट देने से वंचित न किया जाए।

मलिक मोअतसिम खान ने कहा, “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए सभी को शामिल करना और विश्वास बनाए रखना जरूरी है। ECI को पारदर्शी तरीके से काम करना चाहिए, संवैधानिक सिद्धांतों का पालन करना चाहिए और हर भारतीय के वोट देने के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए।”