नई दिल्ली. संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की आलोचना करते हुए इसे अल्पसंख्यकों को गुमराह करने की ‘पूर्व नियोजित राजनीतिक रणनीति’ बताया, जबकि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक को ‘असंवैधानिक’ बताया.
चल रहे प्रदर्शनों पर बोलते हुए जगदम्बिका पाल ने विरोध प्रदर्शन के पीछे के मकसद पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ‘‘जब सरकार ने अभी तक संशोधित अधिनियम भी पेश नहीं किया है, तो वे विरोध क्यों कर रहे हैं? पहले, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जंतर-मंतर पर, फिर पटना में और अब विजयवाड़ा में विरोध प्रदर्शन किया. यह देश भर के अल्पसंख्यकों और मुसलमानों को गुमराह करने की एक सुनियोजित रणनीति है.’’
पाल ने तर्क दिया कि गरीबों, महिलाओं, बच्चों और अनाथों के कल्याण के लिए बनाई गई वक्फ संपत्तियों का कुप्रबंधन किया जा रहा है और देखभाल करने वालों द्वारा अवैध रूप से बेचा जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार कानून में संशोधन कर रही है ताकि वक्फ संपत्तियों का अधिकतम लाभ गरीबों तक पहुंचे. फिर भी, इमरान मसूद और ओवैसी जैसे कुछ नेता लोगों को गुमराह कर रहे हैं. विधेयक अभी तक संसद में पेश भी नहीं किया गया है और वे पहले से ही विरोध प्रदर्शन का आह्वान कर रहे हैं, धमकियाँ दे रहे हैं और शाहीन बाग जैसी स्थिति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.’’
पाल ने विपक्षी नेताओं की चेतावनियों की भी निंदा करते हुए कहा, ‘‘जगदंबिका पाल और उनकी पार्टी को इसके परिणाम भुगतने होंगे, जैसी धमकियाँ अस्वीकार्य हैं. संसद को कानून बनाने का अधिकार है और अराजकता फैलाने और हिंसा भड़काने के ऐसे प्रयासों को रोका जाना चाहिए.’’
दूसरी ओर, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए इसे संवैधानिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया.
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक असंवैधानिक विधेयक है. यह अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है. यही कारण है कि इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.’’