कठुआ (जम्मू-कश्मीर)
जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने कहा कि केंद्रशासित प्रदेश प्राकृतिक आपदाओं को लेकर हाई अलर्ट पर है और हर किसी को सतर्क रहने की ज़रूरत है। उन्होंने इसे ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम बताया।
गौरतलब है कि 17 अगस्त को कठुआ ज़िले में बादल फटने से सात लोगों की मौत हो गई और 11 अन्य घायल हो गए। अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से भारी तबाही मची, जिसमें जनहानि के साथ-साथ ढांचागत नुकसान भी हुआ। हालात को देखते हुए सेना की राहत टीमें और इंजीनियरिंग डिटैचमेंट को तुरंत झोर खड्ड और बगरा गांव जैसे सबसे प्रभावित इलाकों में भेजा गया।
उपमुख्यमंत्री चौधरी ने कहा,“सरकार इस संकट की घड़ी में प्रभावित परिवारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। तात्कालिक राहत और दीर्घकालिक पुनर्वास के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।”
उन्होंने मौके पर जाकर उस पुल का भी निरीक्षण किया जो घटना में क्षतिग्रस्त हुआ और घाटी व आसपास के गांवों को जोड़ता था। उन्होंने अधिकारियों को तुरंत बहाली का काम शुरू करने का निर्देश देते हुए कहा,“कनेक्टिविटी बहाल करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रशासन को वॉर फुटिंग पर काम करने के आदेश दिए गए हैं।”
इसके बाद उपमुख्यमंत्री ने मिलिट्री हॉस्पिटल पठानकोट का दौरा कर घायलों का हालचाल लिया। उन्होंने मेडिकल स्टाफ की तत्परता की सराहना की और उन्हें घायलों को पूर्ण स्वस्थ होने तक सर्वश्रेष्ठ इलाज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
बाद में वे सरकारी मेडिकल कॉलेज कठुआ भी पहुंचे, जहां उन्होंने जखोले और जंगलोते क्षेत्रों में बादल फटने व अचानक आई बाढ़ से प्रभावित लोगों और उनके परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने उन्हें भरोसा दिलाया कि चिकित्सा सुविधा से लेकर पुनर्वास सहायता तक हर मदद तत्काल उपलब्ध कराई जाएगी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा,“लोगों की सुरक्षा और भलाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। सरकार राहत पहुंचाने और क्षतिग्रस्त ढांचे को पुनर्निर्मित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।”
साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि सभी आपदा-ग्रस्त क्षेत्रों में 24 घंटे निगरानी रखी जाए और प्रभावित जनसंख्या को समय पर हर संभव मदद सुनिश्चित की जाए।