जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने लश्कर-ए-तैयबा और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के लिए कथित तौर पर काम करने वाले तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया: सूत्र

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 03-06-2025
J-K LG Manoj Sinha sacks three govt employees allegedly working for LeT, Hizb-ul-Mujahidin: Sources
J-K LG Manoj Sinha sacks three govt employees allegedly working for LeT, Hizb-ul-Mujahidin: Sources

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली 
 
सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (एचएम) के लिए कथित तौर पर काम करने वाले तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. सूत्रों ने बताया कि आरोपियों की पहचान मलिक इश्फाक नसीर के रूप में हुई है, जो पुलिस कांस्टेबल के रूप में कार्यरत था; स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक के रूप में कार्यरत एजाज अहमद; और श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूनियर असिस्टेंट वसीम अहमद खान. 
 
अगस्त 2020 में पदभार ग्रहण करने के बाद से, मनोज सिन्हा ने सक्रिय आतंकवादियों और उनके समर्थन नेटवर्क, जिसमें ओवरग्राउंड वर्कर (OGW) और सरकारी संस्थानों में निहित सहानुभूति रखने वाले शामिल हैं, दोनों को लक्षित करके आतंकवाद के बुनियादी ढांचे को कमजोर करने को प्राथमिकता दी है. सिन्हा ने आक्रामक आतंकवाद विरोधी अभियान सुनिश्चित किए हैं, जिसमें सुरक्षा बलों ने 2020 और 2024 के बीच जम्मू-कश्मीर में सैकड़ों आतंकवादियों को बेअसर कर दिया और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत 70 से अधिक OGW/आतंकवादियों के सहयोगियों को सरकारी नौकरियों से बर्खास्त कर दिया. 
 
यह हमला विनाशकारी पहलगाम आतंकी हमले के एक महीने बाद हुआ है, जिसमें आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में करीब 26 नागरिकों, जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे, की हत्या कर दी थी. इससे पहले 31 मई को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पाकिस्तान इंटेलिजेंस ऑपरेटिव्स (PIO) को भारतीय सिम कार्ड सप्लाई करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया था, जो दोनों भाई हैं.
पुलिस के मुताबिक, पकड़े गए दोनों व्यक्ति राजस्थान के रहने वाले हसीन और कासिम हैं.
 
अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी हसीन करीब 15 साल पहले पाकिस्तान गया था, क्योंकि उसके रिश्तेदार वहीं रहते हैं. फिलहाल, वह करीब 4-5 साल से ISI अधिकारियों के संपर्क में है. अगस्त 2024 में उसने कासिम के जरिए पाकिस्तान को सिम कार्ड भेजे. इनमें से एक सिम कार्ड उसके नाम पर है और इसका इस्तेमाल PIO करता था.
 
पूछताछ के दौरान पता चला कि हसीन ने PIO को संवेदनशील सैन्य प्रतिष्ठानों की तस्वीरें भेजीं और इसके बदले पैसे लिए. अधिकारियों ने बताया कि उसने पाकिस्तान में व्हाट्सएप को एक्टिवेट करने की क्षमता वाला OTP भी मुहैया कराया.
पुलिस ने बताया कि उसके आईएसआई संचालकों ने उसके छोटे भाई कासिम, उसके बहनोई और बहन के लिए पाकिस्तानी वीजा दिलाने में भी उसकी मदद की थी, जब वे अगस्त 2024 में पाकिस्तान गए थे.