भुवनेश्वर में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन : दुनिया के राजनयिकों ने तत्काल जलवायु कार्रवाई का आह्वान किया

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 10-07-2025
International conference in Bhubaneswar: World diplomats call for urgent climate action
International conference in Bhubaneswar: World diplomats call for urgent climate action

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

आठ देशों के राजदूतों और राजनयिकों ने बृहस्पतिवार को जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की तथा पृथ्वी की रक्षा के लिए तत्काल और केंद्रित वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया.
 
भारत में स्पेन के राजदूत जुआन एंटोनियो मार्च पुजोल ने ‘जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग - मुद्दे और संभावनाएं’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह दूर का खतरा नहीं है, यह मानवता के समक्ष एक बड़ी चुनौती है.
 
सम्मेलन को संबोधित करने वाले अन्य गणमान्य व्यक्तियों में भारत में उरुग्वे के राजदूत अल्बर्टो गुआनी, पेरु के राजदूत जेवियर पॉलिनिच, इक्वाडोर के राजदूत फर्नांडो बुचेली, ग्वेटामाला के राजदूत उमर कास्टानेडा सोलारेस, इटली के राजदूत एंटोनियो बार्टोली, सेशेल्स की उच्चायुक्त लालाटियाना एकोचे और गुयाना के उच्चायुक्त केशव तिवारी शामिल हैं.
 
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मानवीय और सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों के कारण ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन वर्तमान संकट के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है.
 
उन्होंने कहा, ‘‘इसका प्रभाव प्रतिकूल मौसम की घटनाओं में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है.
 
महापात्र ने चेतावनी दी कि प्राकृतिक रूप से कार्बन को अवशोषित करने वाले वन और आर्द्रभूमि पेड़ों की कटाई और मानवीय हस्तक्षेप के कारण सिकुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वनों की कटाई रोकने और जल निकायों की सुरक्षा के लिए उपाय किए जा रहे हैं.’
 
आईएमडी प्रमुख ने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन का अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है। बढ़ते तापमान के कारण कृषि उपज में छह से 10 प्रतिशत की कमी आई है और मछली पकड़ने की गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
 
महापात्र ने प्रतिकूल मौसम की स्थिति के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सूक्ष्म स्तर पर सतत विकास प्रथाओं को अपनाया जाना चाहिए.
 
सेशेल्स की उच्चायुक्त एकोचे ने कहा कि उनका देश अफ्रीका का एक छोटा सा द्वीपीय राष्ट्र है लेकिन जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि सेशेल्स को समुद्र के बढ़ते स्तर, तटीय कटाव और अत्यधिक विपरीत मौसम का सामना करना पड़ रहा है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से पर्यटन और मछली उद्योग और इसके पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है.
 
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि ग्लोबल वार्मिंग की प्रक्रिया में हमारा योगदान सबसे कम है, लेकिन हम इसके प्रभाव से सबसे अधिक प्रभावित हैं.’’
 
गुयाना के तिवारी ने एकोचे का समर्थन करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन में सबसे कम योगदान देने वाले लोग ही इसके सबसे बड़े शिकार .
 
तिवारी ने कहा कि उनके देश ने अपने प्राचीन वनों की रक्षा की है, जो भौगोलिक क्षेत्र के 85 प्रतिशत हिस्से में फैला हुआ है और प्राकृतिक रूप से कार्बन सोखता है। उन्होंने कहा कि देशों को उनके द्वारा किए गए वैश्विक अच्छे कार्यों के लिए मुआवजा दिए जाने की आवश्यकता है.
 
स्पेन के राजदूत पुजोल ने कहा कि मानवजनित गतिविधियों ने जलवायु को प्रभावित किया है, जिसके कारण 1900 के बाद से समुद्र का स्तर 20 सेमी से अधिक बढ़ गया है, जबकि देश चक्रवात, बाढ़ और सूखे आदि चरम मौसम का सामना कर रहे हैं.