ब्रासीलिया कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने मंगलवार को स्पष्ट रूप से कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद की राह केवल तभी खुल सकती है, जब पाकिस्तान अपने यहां मौजूद हर आतंकी ढांचे के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करे।
ब्राजील में एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थरूर ने यह बात पीटीआई से विशेष बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से बातचीत में समस्या भाषा की नहीं, बल्कि सभ्यता और शांति के लिए साझा दृष्टिकोण की है।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा,
"अगर पाकिस्तान इतना ही निर्दोष है जितना वह दावा करता है, तो फिर वह वांछित आतंकवादियों को शरण क्यों देता है? आतंकवादी खुलेआम पाकिस्तान में प्रशिक्षण कैंप चलाते हैं, लोगों को हथियारों की ट्रेनिंग देते हैं, कट्टरपंथ फैलाते हैं। यह सब अगर बंद होता है, तभी कोई बातचीत संभव है।"
थरूर ने साफ तौर पर कहा कि भारत आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई को केवल भाषणों तक सीमित नहीं रख रहा, बल्कि उसने दुनिया भर में जाकर आतंक के खिलाफ अपना पक्ष मजबूती से रखा है, यहां तक कि उन देशों में भी जो पहले भारत के रुख से अनजान या भ्रम में थे।
उन्होंने दो टूक कहा:
"भारत पाकिस्तान से हिंदी, पंजाबी या अंग्रेज़ी — किसी भी भाषा में बात कर सकता है। लेकिन बात तब ही होगी जब साझा सोच शांति और तरक्की की होगी। पाकिस्तान हमें परेशान करना, कमजोर करना और हजार घावों से खत्म करना चाहता है — लेकिन यह मुमकिन नहीं है। उन्हें यह विचार छोड़ देना चाहिए।"
ब्राजील इन दिनों 11वें ब्रिक्स संसदीय मंच की मेजबानी कर रहा है जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। जब थरूर से पूछा गया कि क्या भारत को उम्मीद है कि ब्राजील आतंकवाद के मुद्दे पर कोई ठोस बयान देगा, तो उन्होंने संयमित जवाब दिया:
"ब्रिक्स का अपना एक तय एजेंडा है। हमें नहीं पता कि भारत से जुड़े आतंकवाद के मुद्दे को उस मसौदे में शामिल किया गया है या नहीं। लेकिन हमारी प्राथमिकता पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मोर्चे पर काम करना और वहां मौजूद आतंक के ढांचे को खत्म करने की विफलता को उजागर करना है।"
थरूर ने जानकारी दी कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल अब तक गुयाना, पनामा, कोलंबिया और ब्राजील की यात्रा कर चुका है और वहां के नेताओं को भारत के आतंकवाद-विरोधी रुख की जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति स्पष्ट है — हम शांति और विकास चाहते हैं, लेकिन किसी भी सूरत में आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे।