Terrorism will no longer be tolerated, India has given a message to the world: Dhankhar
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि भारत ने पूरी दुनिया को संदेश दे दिया है कि आतंकवाद को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. धनखड़ ने कहा कि आज देश आत्मविश्वास से भरा, उदीयमान भारत है, यह वह भारत है जिसमें हर क्षेत्र में हर युवा के लिए अवसर हैं.
वह नयी दिल्ली स्थित 'उपराष्ट्रपति एनक्लेव' में, दिल्ली की यात्रा पर आए चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल के छात्रों को संबोधित कर रहे थे. भारतीय सशस्त्र बलों के ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर में केवल आतंकवादी ठिकानों को ही निशाना बनाया गया. कार्रवाई सटीक, और सही माप के साथ हुई। इसका मतलब है कि हमने पूरी दुनिया को एक संदेश दिया है ...बस बहुत हो गया! आतंकवाद को अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग बर्बरता करेंगे, आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करेंगे, उन्हें बहावलपुर और मुरीदके की तरह सबक सिखाया जाएगा. एक आधिकारिक बयान के अनुसार भारतीय सशस्त्र बलों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, "पहलगाम की बर्बरता के बदले की पूरी दुनिया ने प्रशंसा की है. जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, आतंकवाद को परिभाषित करते हैं. बहावलपुर और मुरीदके में उनके ठिकाने, जो पाकिस्तान के अंदर, अंतरराष्ट्रीय सीमा से बहुत आगे हैं, नष्ट कर दिए गए.’’
उन्होंने कहा, ‘‘आपने आतंकवादियों, उनकी सेना और उनके नेताओं को ताबूत ले जाते हुए देखा होगा. यह हमारे रक्षा बलों की सबसे बड़ी सफलता थी. आधिकारिक बयान के अनुसार धनखड़ ने कहा, ‘‘और इसलिए यह एक आत्मविश्वास से भरा भारत है. यह एक उभरता हुआ भारत है, यह एक ऐसा भारत है जिसमें उम्मीद और संभावना है, यह वह भारत है जिसमें हर क्षेत्र में हर युवा के लिए अवसर हैं. हम एक उभरते हुए राष्ट्र हैं, यह उभार रुकने वाला नहीं है, उभार वृद्धिशील है, हम अब संभावनाओं वाले राष्ट्र नहीं हैं. हमारी क्षमताओं का उपयोग हो रहा है. हम अब सिर्फ सपने देखने वाला राष्ट्र नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि विकसित भारत हमारा लक्ष्य है, हम उस ओर आगे बढ़ रहे हैं और हम सफल होंगे. उन्होंने युवाओं से अपने समय और प्रतिभा का अधिकतम उपयोग करके इसमें योगदान देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि विज्ञान और रक्षा के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां इस बढ़ती ताकत को दर्शाती हैं. उन्होंने कहा "मैंने कभी नहीं सोचा था कि भारत इतना विकसित हो जाएगा कि हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना चंद्रयान -3 उतारने वाले दुनिया के पहले राष्ट्र हो जायेंगे.’ सभी क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का स्वागत करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कभी सैनिक स्कूल केवल लड़कों के लिए थे. उन्होंने कहा, ‘‘क्या आप 50 प्रतिशत प्रतिभाओं को मान्यता दिये बिना दुनिया में सफल हो सकते हैं? और अब, लड़कियों के लिए सैनिक स्कूल हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब हमारी लड़कियां लड़ाकू पायलट हैं, हमारी लड़कियां पुलिस बल में हैं, हमारी लड़कियां सीएपीएफ में हैं. हम इसरो से जुड़ी लड़कियों को रॉकेट महिला कहते हैं। इसलिए लड़कियों की समान भागीदारी बहुत ज़रूरी है.’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए धनखड़ ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री मोदी की सराहना करता हूं कि उन्होंने कुछ ऐसा हासिल किया है, जो तीन दशक पहले नहीं हुआ था - एक युगांतकारी विकास, एक ‘गेम-चेंजिंग’ विकास: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण.’’ उन्होंने मथुरा में सिर्फ़ लड़कियों के लिए सैनिक स्कूल खुलने को भी एक उपलब्धि बताया. सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ को अपना असली जन्म स्थान बताते हुए धनखड़ ने कहा, "मेरा जन्म झुंझुनू जिले के किठाना गांव में हुआ था लेकिन वह मेरा जैविक जन्म था. मेरा वास्तविक जन्म सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में हुआ. सैनिक स्कूल ने मुझे मूल्य, अनुशासन, शिष्टाचार, मित्रता, पर्यावरण की देखभाल, अनेक लोगों में से एक होना - कभी अकेले न रहना सिखाया.’’
उपराष्ट्रपति ने छात्रों को डर और असफलता पर काबू पाने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा, ‘‘आप अपने समय का बेहतर उपयोग करके बदलाव लाते हैं. कभी डरें नहीं, कभी तनाव न लें, क्योंकि ये आपको नीचे ले जाते हैं. जीवन में कोई असफलता नहीं होती। असफलता एक संदेश है... और अधिक करें. उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपकी पीढ़ी के लिए विवेकानंद की घोषणा को उद्धृत करता हूं. यह बात हमेशा आपके कानों में गूंजनी चाहिए और उन्होंने जो कहा, वह यह था, "उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाएंं.