आवाज द वॉयस/वाशिंगटन
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने ध्वनि मत से एक विधायी संशोधन पारित कर चीन की मुष्किलें बढ़ा दी हैं. चीन को काबू में करने के लिए इसने रूस से एस-400मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए दंडात्मक सीएएटीएसए प्रतिबंधों के खिलाफ भारत को छूट दे दी है.
राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) के फ्लोर पर विचार के दौरान एन ब्लॉक के हिस्से के रूप में विधायी संशोधन को पारित कर दिया.भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसी रो खन्ना द्वारा लिखित और पेश किया गया संशोधन बाइडेन प्रशासन से चीन जैसे हमलावरों को रोकने में मदद के लिए भारत को काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज सेंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) में छूट प्रदान करने के लिए अपने अधिकार का उपयोग करने का आग्रह करता है.
बता दें कि सीएएटीएसए एक सख्त अमेरिकी कानून है जो अमेरिकी प्रशासन को उन देशों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिकृत करता है जो 2014में रूस के क्रीमिया के कब्जे और 2016के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में कथित हस्तक्षेप के जवाब में रूस से प्रमुख रक्षा हार्डवेयर खरीदते रहे हैं.
अमेरिका चीन की बढ़ती आक्रामकता का सामना करने के लिए भारत के साथ खड़ा होना चाहता है. इंडिया कॉकस के उपाध्यक्ष के रूप में, मैं अपने देशों के बीच साझेदारी को मजबूत करने और यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा हूं कि भारत भारतीय चीनी सीमा पर अपनी रक्षा कर सके. ”
कैलिफोर्निया के 17वें कांग्रेस जिले के अमेरिकी प्रतिनिधि खन्ना ने कहा, यह संशोधन अत्यंत महत्वपूर्ण है. मुझे इसे द्विदलीय आधार पर सदन को पारित करते हुए देखकर गर्व हो रहा है.कानून 2017 में लाया गया था और रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों के साथ लेनदेन में लगे किसी भी देश के खिलाफ अमेरिकी सरकार द्वारा दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान करता है.
अक्टूबर 2018 में, भारत ने तत्कालीन ट्रम्प प्रशासन की चेतावनी के बावजूद एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने के लिए रूस के साथ 5बिलियन अमरीकी डालर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. अनुबंध पर आगे बढ़ने के कारण भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों को सामना करना पड़ सकता था.
बता दें कि एस-400 को रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली है. अमेरिका ने रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणालियों के एक बैच की खरीद के लिए तुर्की पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिए हैं.
एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद को लेकर तुर्की पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद, ऐसी आशंकाएं थीं कि वाशिंगटन भारत पर इसी तरह के दंडात्मक उपाय लागू कर सकता है.अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अप्रैल में कहा था कि रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के लिए कानून के तहत भारत को संभावित प्रतिबंधों या छूट पर अमेरिका ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है.
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत एक स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण कर रहा है. इसके रक्षा अधिग्रहण उसके राष्ट्रीय सुरक्षा हितों द्वारा निर्देशित हैं.सदन के पटल पर अपनी टिप्पणी में, खन्ना ने कहा कि अमेरिका-भारत साझेदारी की तुलना में अमेरिका के रणनीतिक हितों के लिए अधिक महत्व का कोई संबंध नहीं है.
डेमोक्रेट के खन्ना ने कहा, मेरा द्विदलीय एनडीएए संशोधन अमेरिका-भारत परमाणु समझौते के बाद से कांग्रेस से बाहर अमेरिका-भारत संबंधों के लिए सबसे महत्वपूर्ण कानून है.कानून कहता है कि यूनाइटेड स्टेट्स-इंडिया इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (आईसीईटी) कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग में नवीनतम प्रगति को संबोधित करने के लिए दोनों देशों में सरकारों, शिक्षाविदों और उद्योग के बीच घनिष्ठ साझेदारी विकसित करने के लिए एक स्वागत योग्य और आवश्यक कदम है.