भारत को अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में सतर्क और चतुर रहना चाहिए: रघुराम राजन

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 18-07-2025
India should be cautious and smart in trade deal with US: Raghuram Rajan
India should be cautious and smart in trade deal with US: Raghuram Rajan

 

नई दिल्ली

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) को लेकर भारत को बहुत सतर्क और चतुराई से बातचीत करनी होगी, खासकर कृषि क्षेत्र के मामलों में, जो विकसित देशों द्वारा भारी सब्सिडी प्राप्त करता है।

पीटीआई वीडियो को दिए एक साक्षात्कार में राजन ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि फिलहाल 6-7 प्रतिशत के दायरे में स्थिर हो गई है, और वैश्विक व्यापार अनिश्चितता के चलते यह विकास दर कुछ अंश तक प्रभावित हो सकती है।

उन्होंने कहा,"जहां व्यापार वार्ताएं कठिन हो जाती हैं, वह क्षेत्र है कृषि, क्योंकि हर देश अपने किसानों को सब्सिडी देता है। हमारे किसान तुलनात्मक रूप से छोटे होते हैं और उन्हें कम सब्सिडी मिलती है। ऐसे में अगर कृषि उत्पादों का अनियंत्रित आयात होता है, तो वह हमारे किसानों के लिए नुकसानदेह हो सकता है।"

हाल ही में भारतीय वार्ताकारों की टीम अमेरिका में पांचवें दौर की बातचीत के लिए वाशिंगटन गई थी।

राजन ने सुझाव दिया कि—"क्या हम इन देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को प्रोत्साहित कर सकते हैं, ताकि कुछ क्षेत्रों में मूल्यवर्धन हो सके—जैसे दूध, दूध पाउडर, चीज़ आदि में सुधार। इससे हमारे डेयरी उत्पादकों को फ़ायदा हो सकता है।"

उन्होंने यह भी कहा कि जरूरी नहीं कि हम दूसरे देशों से दूध के आयात का स्वागत करें, बल्कि इसके बजाय यह देखा जाना चाहिए कि हम अपनी डेयरी क्षमता कैसे बढ़ा सकते हैं।

राजन ने यह भी स्पष्ट किया कि,“ऐसे मामलों में समझदारी और चतुराई से बातचीत की ज़रूरत है, और मुझे उम्मीद है कि हमारे सरकारी अधिकारी इसी दिशा में काम कर रहे हैं।”

भारत ने अब तक किसी भी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में डेयरी उत्पादों पर शुल्क रियायतें नहीं दी हैं, और अमेरिका के कृषि व डेयरी उत्पादों पर छूट देने की मांग पर भारत ने कड़ा रुख अपनाया है।

रघुराम राजन ने कहा कि व्यापार तनाव का असर निर्यात और निवेश दोनों पर नकारात्मक पड़ता है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इससे भारत के लिए अवसर भी बन सकते हैं।

उन्होंने बताया कि अगर अमेरिका द्वारा चीन और अन्य एशियाई देशों पर लगाए गए शुल्क भारत की तुलना में अधिक हैं, तो कुछ उद्योग भारत में स्थानांतरित हो सकते हैं।

हालांकि उन्होंने यह भी माना कि भारत से अमेरिका को होने वाला मैन्युफैक्चरिंग निर्यात बहुत अधिक नहीं है, इसलिए भारत पर अमेरिका के शुल्क का सीमित प्रभाव ही पड़ेगा।

राजन ने कहा कि भारत में आर्थिक विकास दर फिलहाल 6-7 प्रतिशत के बीच बनी हुई है, और वैश्विक टैरिफ माहौल का कुछ मामूली असर ज़रूर हो सकता है,

“लेकिन दीर्घकालिक रूप में यह भारत के लिए एक अवसर बन सकता है।”

2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित कई देशों पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जिसे पहले 90 दिनों के लिए स्थगित कर 9 जुलाई तक और फिर 1 अगस्त तक टाल दिया गया है।

भारत ने अमेरिका से अतिरिक्त 26% शुल्क हटाने और स्टील (50%), एल्युमिनियम, और ऑटो (25%) सेक्टर पर लगे शुल्कों में छूट की मांग की है।

राजन ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में भारत ने हाल के वर्षों में संरक्षणवाद (protectionism) अपनाया है,

“लेकिन हम उस संरक्षणवाद को पलट सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि भारत ने ऐतिहासिक रूप से कुछ क्षेत्रों को संरक्षित रखा है, लेकिन अब उन क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाना, टैरिफ कम करना, और खुलेपन को बढ़ावा देना फायदेमंद हो सकता है।

उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा,“कार निर्माण क्षेत्र में हमारे पास कुछ फायदे हैं, हम कुछ किस्म की कारें अच्छी बनाते हैं। वहां विदेशी प्रतिस्पर्धा लाने से सुधार हो सकता है।”

निष्कर्ष: भारत को अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताओं में खासकर कृषि और डेयरी क्षेत्र में बड़ी सावधानी और रणनीतिक चतुराई बरतनी चाहिए, जिससे घरेलू किसानों और उद्योगों का हित सुरक्षित रह सके।