India's population is not at a crisis, but at a turning point: Population Foundation of India
नयी दिल्ली
गैर सरकारी संगठन पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने विश्व जनसंख्या दिवस 2025 के मौके पर शुक्रवार को कहा कि भारत में जनसंख्या को लेकर भय और भ्रांतियों पर आधारित बहसों को समाप्त कर, ऐसे नीतिगत बदलाव लाने की जरूरत है जो खासतौर पर महिलाओं, युवाओं एवं बुजुर्गों की गरिमा, अधिकारों और अवसरों पर केंद्रित हों।
गैर-सरकारी संगठन ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि भारत की जनसंख्या संबंधी चुनौतियां केवल संख्या की समस्या नहीं हैं, बल्कि ये न्याय, समानता और मानव संसाधन में निवेश से संबंधित हैं।
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा,"भारत की जनसंख्या कोई संकट नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण मोड़ है।"
विश्व जनसंख्या दिवस इस वर्ष वैश्विक थीम " युवाओं को एक निष्पक्ष और आशावान विश्व में अपने मनचाहे परिवार के लिए सशक्त बनाना'' के तहत मनाया जा रहा है।
एनजीओ ने कहा कि भारत की जनसंख्या चुनौतियां सिर्फ संख्याओं की नहीं है, बल्कि यह न्याय, समानता और मानव संसाधन में निवेश से जुड़ा मामला है।
उन्होंने कहा, "हमें 'अत्यधिक जनसंख्या' और 'जनसंख्या गिरावट' के डर की दुविधा को छोड़कर उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो वास्तव में महत्वपूर्ण हैं जैसे लैंगिक समानता, प्रजनन अधिकारों की स्वतंत्रता, और समावेशी सार्वजनिक निवेश।''
फाउंडेशन ने नीति निर्माताओं से अपील की है कि वे जनसंख्या को लेकर भय पर आधारित विमर्श को छोड़ें और इसके बजाय देखभाल आधारित प्रणालियों और अधिकार आधारित नीतियों को अपनाएं।
फाउंडेशन ने कहा, "अगर हम अपनी नीतियों में लोगों, खासकर महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों को केंद्र में रखेंगे, तो जनसंख्या से जुड़ी प्रवृत्तियां कोई संकट नहीं बल्कि एक अधिक न्यायसंगत और सशक्त भविष्य की दिशा में रास्ता बन सकती हैं।"