दुनिया के लिए जल संकट का समाधान खोजने के लिए भारत को आगे आना होगा: 'जल संचय जन भागीदारी पहल' के शुभारंभ पर पीएम मोदी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 06-09-2024
India must come forward to find solutions to the world's water crisis: PM Modi at the launch of 'Jal Sanchay Jan Bhaagidari Initiative'
India must come forward to find solutions to the world's water crisis: PM Modi at the launch of 'Jal Sanchay Jan Bhaagidari Initiative'

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को 'जल संचय जन भागीदारी पहल' का शुभारंभ किया. उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमेशा दूरदर्शी और व्यापक दृष्टिकोण रखने वाले देश को पूरी दुनिया के लिए जल संकट से निपटने के लिए समाधान खोजने के लिए आगे आना चाहिए. संस्कृत की एक पंक्ति का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "ऐसा कहा जाता है कि सभी जीव जल से उत्पन्न हुए हैं और उनका जीवन उसी पर निर्भर करता है. इसलिए जल दान और दूसरों के लिए जल बचाना सबसे बड़ा दान है और यही बात रहीम दास ने भी कही थी. जिस देश की सोच और दृष्टिकोण अतीत से ही दूरदर्शी और व्यापक रहा हो, उसे जल संकट का समाधान खोजने के लिए दुनिया में आगे आना चाहिए."

गुजरात में आई बाढ़ और इस मानसून के दौरान देश के अधिकांश हिस्सों में आई कई अन्य प्राकृतिक आपदाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश के लगभग सभी हिस्सों को बारिश के कहर का सामना करना पड़ा. पीएम मोदी ने कहा, "आज गुजरात की धरती से जलशक्ति मंत्रालय की ओर से एक महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की जा रही है. इससे पहले पिछले कई दिनों से देश के हर हिस्से में भारी बारिश हुई, शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा जहां पानी से तबाही न मची हो. मैं लंबे समय तक गुजरात का सीएम रहा, लेकिन मैंने ज्यादातर जिलों में इतनी भारी बारिश नहीं देखी. लेकिन इस बार गुजरात में बहुत बड़ी समस्या आई, सभी विभाग प्रकृति की इन मारों को झेलने में लगे रहे.

लेकिन यह गुजरात और यहां की जनता का व्यवहार है कि वे ऐसी परिस्थितियों में भी एकजुटता के साथ आगे बढ़ते हैं. देश के अभी भी कई हिस्से ऐसे हैं जो भारी बारिश की मार झेल रहे हैं." पहल में भाग लेने वाले सभी लोगों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि जल संरक्षण सिर्फ एक नीति नहीं है, बल्कि यह एक व्यवहार है जो हमारी उदारता और जिम्मेदारी को दर्शाता है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "जल संरक्षण केवल नीति नहीं है, यह आचरण है और इस आचरण में उदारता और जिम्मेदारी है. जब आने वाली पीढ़ियां हमें देखेंगी, तो पानी के प्रति हमारे कदम और व्यवहार पहला मापदंड होंगे. क्योंकि यह केवल संसाधनों का सवाल नहीं है, बल्कि यह जीवन और भविष्य का सवाल है. इसलिए, सतत भविष्य के लिए, हमने जो 9 संकल्प रखे हैं, उनमें जल संरक्षण पहला संकल्प है. मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि जनभागीदारी के माध्यम से एक और सार्थक कदम उठाया जा रहा है. इस अवसर पर, मैं जल शक्ति मंत्रालय, गुजरात सरकार और इस पहल में भाग लेने वाले पूरे देश के लोगों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं."

गुजरात का उदाहरण देते हुए और राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने प्रयास का हवाला देते हुए, पीएम मोदी ने आश्वासन दिया कि हम कई बाधाओं के बावजूद पानी के संकट को दूर कर सकते हैं. उन्होंने गुजरात में तत्कालीन विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे हमारी SAUNI योजना पर हंसते थे, दावा करते थे कि हम जो पाइप बिछा रहे हैं, वे पानी की जगह हवा की आपूर्ति करेंगे, लेकिन हमारे श्रम की सफलता अब पूरी दुनिया के सामने है. गुजरात में सीएम के तौर पर अपने प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए पीएम मोदी ने कहा, "इस कार्यक्रम की शुरुआत गुजरात की धरती से हुई है, जहां हर व्यक्ति तक पानी पहुंचाने और उसे बचाने के लिए कई कदम उठाए गए. करीब 2-2.5 दशक पहले हम सभी जानते थे कि सौराष्ट्र और उत्तरी गुजरात में क्या स्थिति थी.

जल संरक्षण के लिए सरकारों के पास दूरदर्शिता की कमी थी. उस समय मेरा संकल्प था कि दुनिया को बताऊं कि जल संकट का समाधान है. मैंने सरदार सरोवर बांध की रुकी हुई परियोजना को पूरा किया और कई चुनौतियों के बावजूद पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पानी पहुंचाने के लिए सौनी योजना शुरू की. उस समय हमारे विरोधी हमारा मजाक उड़ाते थे और दावा करते थे कि हम जो पाइप बिछा रहे हैं, उससे पानी की जगह हवा मिलेगी. हालांकि, हमारे श्रम की सफलता अब पूरी दुनिया के सामने है. गुजरात की सफलता और राज्य में मेरा अनुभव हमें भरोसा दिलाता है कि हम अपने देश में पानी की कमी की समस्या को दूर कर सकते हैं." 'जल संचय जन भागीदारी पहल' गुजरात सरकार और जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से शुरू की गई है. इस कार्यक्रम के तहत, लगभग 24,800 वर्षा जल संचयन संरचनाएं बनाई गई हैं जो वर्षा जल संचयन को समृद्ध करेंगी और पूरे राज्य में दीर्घकालिक जल स्थिरता सुनिश्चित करेंगी. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, "प्रधानमंत्री के जल सुरक्षा के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, इस पहल का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी और स्वामित्व पर जोर देते हुए जल संरक्षण करना है और यह पूरे समाज और पूरी सरकार के दृष्टिकोण से प्रेरित है. गुजरात सरकार के नेतृत्व में जल संचय पहल की सफलता के आधार पर, जल शक्ति मंत्रालय, राज्य सरकार के सहयोग से, गुजरात में "जल संचय जन भागीदारी" पहल शुरू कर रहा है. गुजरात सरकार ने जल सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए नागरिकों, स्थानीय निकायों, उद्योगों और अन्य हितधारकों को संगठित करने का प्रयास किया है.

बयान में आगे कहा गया है, "इस कार्यक्रम के तहत सामुदायिक भागीदारी से राज्य भर में लगभग 24,800 वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है. ये पुनर्भरण संरचनाएं वर्षा जल संचयन को बढ़ाने और दीर्घकालिक जल स्थिरता सुनिश्चित करने में सहायक होंगी."