नयी दिल्ली
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को स्पष्ट किया कि भारत ने रूस से तेल खरीदने के दौरान किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन नहीं किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का ऊर्जा व्यापार वैश्विक तेल बाजारों को स्थिर करने और कीमतों को नियंत्रित रखने में सहायक रहा है।
पुरी की यह प्रतिक्रिया व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की हालिया टिप्पणी के बाद आई है। नवारो ने भारत पर आरोप लगाया था कि वह रूस से तेल खरीद कर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की "युद्ध मशीन" को आर्थिक समर्थन दे रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर भारत को निशाना बनाते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध को "मोदी का युद्ध" तक बताया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक भगवा वस्त्र में तस्वीर भी साझा की थी।
‘द हिंदू’ में लिखे अपने लेख में पुरी ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि भारत बहुत पहले से, यानी यूक्रेन युद्ध से पहले भी, पेट्रोलियम उत्पादों का दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक रहा है। उनका कहना था कि भारत के निर्यात की मात्रा और मुनाफे में कोई असामान्य बढ़ोतरी नहीं हुई है।
पुरी ने नाम लिए बिना कहा कि कुछ आलोचक यह दावा कर रहे हैं कि रूस से तेल खरीद कर भारत युद्ध को आर्थिक सहायता दे रहा है, जबकि यह आरोप "पूरी तरह से गलत और असत्य" हैं।
उन्होंने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत का रूसी तेल आयात कुल आयात का लगभग 1 प्रतिशत से बढ़कर 40 प्रतिशत तक पहुंचा, लेकिन यह पूरी तरह से वैध और अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत किया गया। पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण भारत को तेल खरीद में भारी छूट मिली, जिससे देश को सस्ती ऊर्जा प्राप्त हुई।
पुरी ने स्पष्ट किया कि रूस से तेल खरीद पर कभी भी सीधे प्रतिबंध नहीं लगाए गए हैं, जैसा कि ईरान या वेनेजुएला के मामले में हुआ था। रूस से तेल खरीद जी-7 और यूरोपीय संघ की मूल्य सीमा व्यवस्था के तहत की गई, जिसका उद्देश्य आपूर्ति को बनाए रखते हुए रूस के राजस्व पर नियंत्रण रखना था।
उन्होंने कहा, "ऐसे 18 अलग-अलग पैकेज पेश किए गए हैं और भारत ने हर एक का पालन किया है। हमारे द्वारा किया गया हर लेन-देन कानूनी रहा है।"
पुरी ने यह भी जोड़ा कि भारत के हर सौदे में वैध निर्यात दस्तावेज, बीमा, नियमन का पालन करने वाले व्यापारी और ऑडिट व्यवस्था शामिल रही है। उन्होंने दोहराया, "भारत ने नियम नहीं तोड़े हैं, बल्कि उसने वैश्विक बाजारों को स्थिर किया है और कीमतों को नियंत्रित रखने में योगदान दिया है।"