‘मन की बात’ के 100 वें एपिसोड में पीएम मोदी बोले-कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण का माध्यम

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 01-05-2023
‘मन की बात’ के 100 वें एपिसोड में पीएम मोदी बोले-कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण का माध्यम
‘मन की बात’ के 100 वें एपिसोड में पीएम मोदी बोले-कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण का माध्यम

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  रविवार को मन की बात के ऐतिहासिक 100 वें एपिसोड को संबोधित करते हुए कहा कि यह रेडियो कार्यक्रम नारीशक्ति को आगे लाने का माध्यम बन गया है. उन्हांने कहा कि कार्यक्रम मेरे लिए भगवान के प्रसाद की थाल की तरह है. उन्होंने कहा कि यह उनके लिए एक आध्यात्मिक यात्रा है.

पीएम मोदी ने कहा कि जैसे लोग भगवान की पूजा करने जाते हैं. प्रसाद की थाल साथ लाते हैं. मेरे लिए, मन की बात जनता-जनार्दन के रूप में भगवान के चरणों में प्रसाद की थाल की तरह है. मन की बात मेरे अस्तित्व की आध्यात्मिक यात्रा बन गई है. मन की बात स्वयं से सामूहिकता की यात्रा है.
 
पीएम मोदी ने अपने शो के दौरान महिला सशक्तिकरण का विशेष तौर से उल्लेख किया. बताया कि कैसे उनका मासिक रेडियो कार्यक्रम नारी शक्ति को सामने लाने का एक मंच बन गया जिसने सामाजिक कारणों के लिए विभिन्न अभियानों का नेतृत्व किया.
 
प्रधानमंत्री ने देश के उन हिस्सों से विभिन्न उदाहरणों का हवाला दिया जिसमें लोगों ने बड़े पैमाने पर समाज में योगदान देने के लिए काम किया. कहा कि मन की बात के एपिसोड में महिलाओं की उपलब्धियों के उनके उल्लेख को लोगों से बहुत प्रशंसा मिली है.
 
पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सेना हो या खेल जगत. मैंने जब भी महिलाओं की उपलब्धियों की बात की है. खूब तारीफ मिली है. हमने छत्तीसगढ़ के देउर गांव की महिलाओं की चर्चा की. ये महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से अभियान चलाती हैं.
 
गांव के चैराहों, सड़कों और मंदिरों को साफ रखती हैं. इसी तरह, देश ने तमिलनाडु की आदिवासी महिलाओं से भी बहुत प्रेरणा ली, जिन्होंने हजारों इको-फ्रेंडली टेराकोटा कप का निर्यात किया.
पीएम मोदी ने कहा, तमिलनाडु में ही, वेल्लोर में नाग नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 20,000 महिलाएं एक साथ आईं.
 
ऐसे कई अभियानों का नेतृत्व हमारी महिला शक्ति ने किया है और मन की बातश् ने उनके प्रयासों को सामने लाने के लिए एक मंच के रूप में काम किया है.प्रधानमंत्री ने अपने क्षेत्र में प्रयास कर रहे लोगों का जिक्र किया और कहा कि मन की बात में कई बार उनके बारे में बात करते-करते भावुक हो गए.
 
कल्पना कीजिए, हमारे कुछ देशवासी लगभग 40 वर्षों से बंजर भूमि पर पेड़ लगा रहे हैं. बहुत से लोग 30 वर्षों से जल संरक्षण के लिए बावड़ी और तालाब खोद रहे हैं. उनकी सफाई कर रहे हैं. कई वर्षों से वंचित बच्चों को पढ़ा रहे हैं. कोई गरीबों के इलाज में मदद कर रहा है. मन की बात में कई बार उनका जिक्र करते हुए मैं भावुक हो गया हूं.
 
पीएम मोदी ने कहा, आकाशवाणी के साथियों को इसे कई बार रिकॉर्ड करना पड़ा. आज अतीत का बहुत कुछ मेरी आंखों के सामने आ रहा है. देशवासियों के इन प्रयासों ने मुझे निरंतर प्रयास करते रहने की प्रेरणा दी है.
 
पीएम मोदी ने कहा कि इस कार्यक्रम ने मुझे कभी भी अपने से दूर नहीं होने दिया. जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो आम जनता से मिलना आम बात थी.  2014 में दिल्ली आने के बाद, मैंने पाया कि काम की प्रकृति अलग थी. सुरक्षा परिदृश्य अलग थे. शुरुआती दिनों में, कुछ अलग महसूस हुआ. एक खालीपन था.
 
पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री के कार्यालय में अपने शुरुआती दिनों का वर्णन करते हुए कहा कि पचास साल पहले मैं घर से बाहर नहीं निकला था कि एक दिन अपने ही देश के लोगों से संपर्क करना मुश्किल हो जाएगा. वही देशवासी जो मेरे सब कुछ हैं, मैं उनसे अलग नहीं रह सकता. मन की बात मुझे इस चुनौती का समाधान दिया.
 
आम आदमी से जुड़ने का एक तरीका दिया. पद और प्रोटोकॉल व्यवस्था तक ही सीमित रह गए. जनभावना, करोड़ों लोगों के साथ, मेरी आंतरिक दुनिया का एक अविभाज्य अंग बन गई. 
 
पीएम मोदी के रेडियो मासिक कार्यक्रम ने आज अपनी 100वीं कड़ी पूरी कर ली जिसका प्रसारण देश भर में सुबह 11 बजे किया गया.3 अक्टूबर 2014 को शुरू हुआ यह कार्यक्रम महिलाओं, युवाओं और किसानों जैसे कई सामाजिक समूहों को संबोधित करते हुए सरकार के नागरिक-पहुंच कार्यक्रम का एक प्रमुख स्तंभ बन गया है.
 
इसने सामुदायिक कार्रवाई को गति दी है.मन की बात 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी, दारी और स्वाहिली सहित 11 विदेशी भाषाओं में प्रसारित की जाती है. मन की बात का प्रसारण आकाशवाणी के 500 से अधिक प्रसारण केंद्रों द्वारा किया जा रहा है.
 
लोगों के जीवन पर मन की बात के प्रभाव के संबंध में एक अध्ययन किया गया. इससे पता चला है कि 100 करोड़ से अधिक लोग कम से कम एक बार मन की बात से जरूर जुड़े. यह सीधे लोगों से बात करता है. जमीनी स्तर के परिवर्तनकर्ताओं और लोगों की उपलब्धियों का जश्न मनाता है.कार्यक्रम का दूरदर्शन द्वारा देश भर के राजभवनों में सीधा प्रसारण किया गया.