सेराज अनवर / पटना
इमारत-ए-शरिया सिर्फ धर्म का ज्ञान ही नहीं बांटता, मजहब के साथ बिहार, झारखंड और ओड़िसा के मुसलमानों का यह इदारा अब आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में भी कदम आगे बढ़ा रहा है. इस संस्था की स्पष्ट समझ है कि शिक्षा के बिना स्वस्थ और विकसित समाज का निर्माण नहीं हो सकता. संस्थान ने मुस्लिम युवाओं को प्रशिक्षित करके उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और अपने पैरों पर खड़े करने लिए कई शैक्षणिक संस्थान स्थापित किए हैं.
इसी साल जनवरी महीने में फुलवारी शरीफ स्थित इमारत-ए-शरिया की निगरानी में दसवीं क्लास के इम्तिहान में कामयाबी के लिए बच्चों और बच्चियों के लिए तीन महीना का क्रैश कोर्स चलाया गया.
किसी धार्मिक संस्था का यह पहला प्रयोग है. 74 बच्चे क्रैश कोर्स से जुड़े, जिसमें 43 बच्चों ने मुकम्मल कामयाबी पायी. इनमें से चुनिंदा 22 छात्रों को रहमानी-30 में दाखिला दिया गया है. सफल छात्रों के सम्मान में शनिवार की रात्रि एक समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें अमीर-ए-शरीयत और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री समेत ने शिरकत कर सफल छात्र-छात्राओं का हौसला बढ़ाया.
इमारत-ए-शरिया के अमीर-ए-शरीयत अहमद फैसल रहमानी ने कहा कि आज भारत में आईआईटी और अरएससी जैसे आदि उच्च शिक्षा के 148 संस्थान हैं, जिनमें हमारा अनुपात बहुत कम है. हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे अपना सर्वश्रेष्ठ पोजीशन होल्ड करें, क्योंकि शिक्षा के बिना एक स्वस्थ समाज का निर्माण नहीं हो सकता है. कामयाबी एक आदत है, जिसको लगानी पड़ती है. इसके लिए हम सभी को चिंतित होना होगा. यह कार्य किसी एक व्यक्ति और संस्था का नहीं है, बल्कि सभी को एक साथ आगे बढ़ना है.
नायब अमीर-ए-शरीयत मौलाना शमशाद रहमानी ने कहा कि तीन महीने के क्रैश कोर्स का अनुभव उत्साहजनक था. अगर हम कड़ी मेहनत करते हैं, तो आगे भी सफल होते रह सकते हैं. उन्होंने कहा कि सातवें अमीर-ए-शरीयत मौलाना मोहम्मद वली रहमानी ने मुस्लिम नौजवानों की शैक्षणिक स्तिथि में सुधार के लिए रहमानी-30 स्थापित की, जो आज देश का एक प्रमुख, आदर्श केंद्र बन गया है. उनके बेटे इंजीनियर मुहम्मद फहद रहमानी के नेतृत्व में यह संस्था आगे बढ़ रही है.
कार्यकारी नाजिम मौलाना शिबली अल-कासिमी ने बताया कि इमारत-ए-शरिया शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम कर रही है. बुनियादी धार्मिक शिक्षा के लिए पांच साल में दस हजार आबादी में मकतब स्थापित करने का लक्ष्य है.
सीबीएसई शैली के कई स्कूल भी स्थापित किए गए हैं और भविष्य के लिए योजना बनाई गई है. इमारत तकनीकी इन्स्टीट्ट द्वारा पंद्रह हजार बच्चों को रोजगार दिया गया है. रहमानी-30 के सर्वेसर्वा फहद रहमानी ने आंकड़ों के साथ समझाया कि यदि हम इस सफलता को कायम रख सके, तो इससे भी बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है. दावे के साथ उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की संस्थान में हमारे बच्चे जायेंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी. रहमानी-30 की स्थापना का मकसद यही है.
बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमां खान ने कहा कि इमारत-ए-शरिया ने जो शमा रौशन किया है, उसकी रोशनी से हम सभी को लाभ उठाना है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार भी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को मजबूत करने के लिए चिंतित है और 13 स्थानों पर अल्पसंख्यक छात्रावास स्थापित करने का फैसला किया है. यदि हम सभी आपसी विचार-विमर्श से काम शुरू करें, तो इससे राष्ट्र को लाभ होगा.इसके लिए हमें एक बैठक करनी चाहिए.
सफल छात्रों को बधाई देते हुए प्रो. गुलाम गौस ने कहा कि इमारत-ए-शरिया की यह उपलब्धि एक ऐतिहासिक और मील का पत्थर है, लेकिन इसमें जमीनी स्तर पर प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने, स्कूलों की स्थापना और आम आदमी को शिक्षा से जोड़ने की क्षमता है.
समारोह में अख्तरुल ईमान शाहिन, इरशाद अली आजाद, मौलाना एजाज अहमद, मौलाना शकील अहमद कासमी, अरमान मलिक, शमीम इकबाल, साबिर, मुफ्ती सना उल होदा कासमी, मौलाना मुफ्ती सोहराब नदवी, मौलाना सुहैल अहमद नदवी, मुफ्ती सुहैल अहमद कासमी, मौलाना काजी अंजार आलम कासमी, मुफ्ती सईद उर रहमान कासमी, मौलाना काजी वसी अहमद कासमी, मौलाना काजी मोहम्मद अनवर कासमी आदि की भी शिरकत रही.