अगर कोविड वैक्सीन पर कोई शक है तो उसे दूर करना चाहिएः मौलाना मदनी

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  AVT | Date 30-01-2021
मौलाना महमूद मदनी
मौलाना महमूद मदनी

 

जमीयत उलेमा-ए-हिंद-एम के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी मुस्लिम मुद्दों पर मुखर होकर विचार रखने के लिए मशहूर हैं. वह समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं. उन्हें हिंदू-मुस्लिम एकता के पैरोकारी के लिए भी जाना जाता है. उनकी लोकप्रियता तब और बढ़ गई थी, जब उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को दिल्ली दौरे के दौरान खरी-खोटी सुनाई थी. आवाज द वॉयस उर्दू के संपादक मंसूरूद्दीन फरीदी ने हाल में मौलाना मदनी से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की. प्रस्तुत हैं उसके चुनिंदा अंशः 

सवालः कोरोना लॉकडाउन के दौरान मुसलमानों ने जिस तरह मानवीय सेवा का प्रदर्शन किया और बिना किसी भेदभाव के लोगों की सहायता की, उस नई तस्वीर और रुझान को आप कैसे देखते हैं ?

मौलाना महमूद मदनीः एक बड़ा सकारात्मक बदलाव देखने को मिला. अब तक, ऐसे काम संगठन किया करते थे. जब मानवता पर बहुत बड़ा संकट था, मुसलमानों ने बिना किसी भेदभाव के सब की मदद की. मुझे लगता है कि भविष्य में भी ऐसे बदलाव देखने को मिलेंगे. मैं मुसलमानों के व्यवहार से बहुत आश्वस्त हूं. मेरा दिल बहुत संतुष्ट है.

सवाल. कोरोना वैक्सीन के बारे में अब सब कुछ स्पष्ट है. आपका इस बारे में क्या पैगाम है ?

मौलाना महमूद मदनीः इसमें दो बातें हैं. एक यह कि हमारे मुंबई के उलेमा ने इसके बारे में कुछ संदेह व्यक्त किए हैं. हम भी यही कहते हैं कि यदि इसमें कुछ संदेह है तो दूर कर लेना चाहिए. मीडिया खबरों के मुताबिक, फाइजर के साथ तीन दवा बनाने वाली कंपनियों ने दावा किया है कि वैक्सीन में हराम तत्व शामिल नहीं हैं. अब अगर उनके दावे की पुष्टि हो जाती है तो मसला ही खत्म हो जाएगा.

मुझे सैद्धांतिक रूप में कहना है कि अगर कोई विकल्प नहीं है. भले ही उसमें हराम सामग्री की मौजूदगी का संदेह हो, हमारे उलेमा आखिर में कहेंगे, जान बचाने के लिए और बीमारी से बचने के लिए मजबूरी में यह वैक्सीन इस्तेमाल कर लें. लेकिन यह कहने से पहले, आवश्यक कार्रवाई पूरी कर लेने दें. इस बीच, यदि अनुसंधान और जांच से पता चल जाए कि किस वैक्सीन में कौन से तत्व मौजूद हैं, तो इसमें क्या गलत है? मुझे इस बात का यकीन है कि यदि ऐसी स्थिति बनती है, तो उलेमा इसकी इजाजत दे सकते हैं. लेकिन ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि जांच न हो, बस आत्मसमपर्ण कर दिया जाए. यह गलत है. मैं सहमत नहीं हूं.

सवालः मजहब ने इसकी भी इजाजत दी है कि यदि किसी की जान खतरे में है, तो हराम सामग्री का इस्तेमाल किया जा सकता है ?

मौलाना महमूद मदनीः अगर पांच वैक्सीन हैं और मैं उनके बारे में शोध कर सकता हूं, उनमें क्या प्रयोग किया जा रहा है और एक टीके में हराम सामग्री के विकल्प का इस्तेमाल किया गया है. अगर दो में हराम सामग्री का इस्तेमाल किया गया है तो मैं उसका इस्तेमाल क्यों करूं? खुदा न खास्ता, ऐसा होता है कि सारे वैक्सीन में हराम तत्वों का इस्तेमाल किया गया है तो इसके बारे में सोचना होगा.

आप अभी से पूरी कम्युनिटी को इस पर क्यों ले जाना चाहते हैं? मैं पूरी तरह मुंबई के भाइयों से सहमत हूं. वैसे, अलग बात है कि इस बात को बेहतर शब्दों में बताया जा सकता था. उनके शब्दों की आत्मा या भावना बिल्कुल सही है कि हम ऐसी वैक्सीन तलाश करें, जिसमें हराम तत्व मौजूद न हों. अगर ऐसी कोई वैक्सीन मिल जाएगी तो हमारे सामने विकल्प मौजूद रहेगा.

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