पवित्र कुरान के ‘इकरा’ को हकीकत में बदल रही है गोलाघाट की मस्जिद

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 25-06-2022
पवित्र कुरान के ‘इकरा’ को हकीकत में बदल रही है गोलाघाट की मस्जिद
पवित्र कुरान के ‘इकरा’ को हकीकत में बदल रही है गोलाघाट की मस्जिद

 

अरिफुल इस्लाम / गुवाहाटी

इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान में इकरा पहला शब्द है. इकरा का अर्थ है पढ़ना. इसलिए इस्लाम के लोग अनादि काल से शिक्षा को विशेष महत्व देते रहे हैं. गोलाघाट में तेलग्राम जामा मस्जिद के पदाधिकारियों ने हाल ही में जीवन में शिक्षा की आवश्यकता और महत्व की दिशा में एक सराहनीय कदम उठाया है.

हाल ही में कुछ स्थानीय लोगों ने हाई स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेंस पास करने वाले छात्रों को बधाई दी और समाज में एक मिसाल कायम की. इनमें एक हिंदू छात्र भी है. असम में धार्मिक एकता और सद्भाव परंपरा की पुष्टि करते हुए, तेलग्राम जामा मस्जिद के अधिकारियों ने मस्जिद के परिसर में अन्य छात्रों के साथ हिंदू छात्र को भी सम्मानित किया. मस्जिद समिति न केवल छात्रों का स्वागत करती है, बल्कि उनकी आर्थिक मदद भी करती है.

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जिन छात्रों को तेलग्राम जामा मस्जिद में सम्मानित किया गया, उनमें मिस जचीबा खानम हक, हिमाक्षी दत्ता, जाहिद अली और हाशिम थे. स्वागत समारोह में सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक होर्मुज अली और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए.

आवाज-द वॉयस से बातचीत में मस्जिद कमेटी के सचिव अख्तर हुसैन ने कहा,  ‘‘मस्जिद परिसर में आयोजित स्वागत समारोह में हमारी महिलाएं मौजूद थीं. स्वागत समारोह में हिमाक्षी दत्ता थी. शिक्षित होने पर, कोई धार्मिक कट्टरता नहीं होगी और लोग मानवतावादी बन जाएंगे.’’

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अख्तर हुसैन ने कहा, ‘‘हम देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं. हम इस कार्यक्रम के जरिए सभी को यह संदेश देना चाहते हैं कि मस्जिद न सिर्फ लोगों के फायदे के लिए है, बल्कि इस्लाम के लोगों के फायदे के लिए भी है. शिक्षा का महत्व हमारी हदीस और कुरान में है. मस्जिद में प्रार्थना करना इस्लाम का उद्देश्य नहीं है. हमें शिक्षा को अधिक महत्व देना चाहिए. वे हमें अपने सभी समारोहों में आमंत्रित करते हैं और हम उनके विभिन्न समारोहों में भी भाग लेते हैं. बिहू में सम्मिलन, हमारी जिकिर जरी टीम प्रदर्शन करती है. हम सभी प्रकार के धार्मिक जुलूसों में भाग लेते हैं.’’

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जब धार्मिक संघर्ष और असहिष्णुता देश में स्थिति को अस्थिर कर रही है. ऐसे में तेलग्राम जामा मस्जिद द्वारा शिक्षा पर विशेष जोर देने के लिए आयोजित स्वागत समारोह का विशेष महत्व माना जा रहा है. उनकी इस उदारता को जागरूक समाज ने काफी सराहा है.

गौरतलब है कि तेलग्राम जामा मस्जिद की स्थापना 1992 में हुई थी. दरगांव, नाहरनी, जोरहाट और तीताबार के लोग इस जगह पर स्थायी निवासी के रूप में बस गए और इस जमात की स्थापना की.