शिक्षा को नई दिशा: जी.डी.सी. ज़कूरा में AI पर विशेषज्ञ व्याख्यान

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 31-10-2025
Giving a new direction to education: Expert lecture on AI at GDC Zakura.
Giving a new direction to education: Expert lecture on AI at GDC Zakura.

 

श्रीनगर

गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज ज़कूरा (GDC Zakura) ने तकनीक और शिक्षा के संगम की दिशा में एक उल्लेखनीय पहल करते हुए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) पर एक विशेष विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया। कॉलेज की आईसीटी कमेटी ने मानव संसाधन विकास (HRD) सेल के सहयोग से “इंटेलिजेंस रीडिफ़ाइंड: हाउ एआई इज़ रीशेपिंग एजुकेशन, रिसर्च, एंड इनोवेशन” विषय पर यह ज्ञानवर्धक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें एआई के सिद्धांत, प्रयोग और शिक्षा के भविष्य पर उसके प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. बिलाल मक़बूल बेग ने शिरकत की, जिन्हें कॉलेज के शिक्षकों और छात्रों ने अत्यंत उत्साह के साथ सुना।

कार्यक्रम का शुभारंभ आईसीटी कमेटी की संयोजक और इवेंट कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर कुरत उल ऐन ने किया। उन्होंने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि शिक्षा का भविष्य अब “मानव बनाम एआई” की प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि “मानव और एआई” के सहयोग की गुणवत्ता पर निर्भर करेगा।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यदि एआई का प्रयोग आलोचनात्मक सोच, बौद्धिक ईमानदारी और मानवीय मूल्यों को साथ लेकर किया जाए, तो यह शिक्षा और अनुसंधान की गुणवत्ता को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। प्रोफेसर ऐन ने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे तकनीक को एक साधन के रूप में देखें, प्रतिस्थापन के रूप में नहीं।

कॉलेज की प्राचार्या प्रोफेसर सैयदा इफ़्फ़त आरा ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि एआई शिक्षा की दिशा और दृष्टि दोनों को बदलने की क्षमता रखता है। उन्होंने बताया कि आधुनिक समय में शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार के हर क्षेत्र में एआई की भूमिका निर्णायक बन चुकी है। उनके अनुसार, एआई न केवल सीखने की प्रक्रिया को अधिक व्यक्तिगत और प्रभावी बना रहा है, बल्कि यह शिक्षकों को भी नए उपकरण और संसाधन प्रदान कर रहा है, जिससे वे छात्रों की जरूरतों को बेहतर ढंग से समझ सकें।

मुख्य वक्ता डॉ. बिलाल मक़बूल बेग ने अपने व्याख्यान में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की अवधारणा, इतिहास और व्यावहारिक उपयोगों को सरल और रोचक ढंग से प्रस्तुत किया।

उन्होंने बताया कि एआई का विकास केवल तकनीकी परिवर्तन नहीं, बल्कि एक मानसिक क्रांति भी है, जिसने सोचने और सीखने के तरीकों को पूरी तरह बदल दिया है। डॉ. बेग ने एआई के शुरुआती नियम-आधारित (Rule-based) मॉडलों से लेकर आज के प्रीडिक्टिव (Predictive) और जेनरेटिव (Generative) मॉडलों तक की यात्रा समझाई।

उन्होंने डीप लर्निंग, मशीन लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क जैसे जटिल विषयों को आसान उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया और बताया कि ये तकनीकें शिक्षा, अनुसंधान, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग के क्षेत्र में किस तरह क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं।

उन्होंने विशेष रूप से यह रेखांकित किया कि शिक्षा के क्षेत्र में एआई एक सक्षम साथी साबित हो रहा है। इससे न केवल सीखने की प्रक्रिया व्यक्तिगत बन रही है, बल्कि मूल्यांकन और शोध की गुणवत्ता भी बेहतर हुई है।

उन्होंने कहा कि अब विद्यार्थी अपनी गति और रुचि के अनुसार सीख सकते हैं, जबकि शिक्षक एआई की मदद से अपने अध्यापन को और प्रभावी बना सकते हैं। डॉ. बेग ने एआई के नैतिक पक्ष पर भी ध्यान दिलाया और कहा कि “तकनीक तभी सार्थक है, जब वह मानवता के हित में प्रयोग की जाए।”

व्याख्यान सत्र को अत्यंत इंटरैक्टिव बनाया गया था, जिसमें शिक्षकों और छात्रों ने उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछे और विचार साझा किए। इस सत्र का संचालन और कार्यवाही लेखन की ज़िम्मेदारी प्रोफेसर सज्जाद अहमद माग्रे ने निभाई। उन्होंने सुनिश्चित किया कि हर प्रश्न का उत्तर विस्तारपूर्वक दिया जाए और प्रतिभागियों को व्यावहारिक जानकारी भी मिले।

कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर सैयद तौसीन रहमत ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने मुख्य वक्ता डॉ. बेग, प्राचार्या प्रो. इफ़्फ़त आरा, और आयोजन समितियों की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन न केवल एक व्याख्यान था, बल्कि सोच और दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने की दिशा में एक प्रेरक पहल थी। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि वे एआई को केवल तकनीकी ज्ञान के रूप में न देखें, बल्कि इसे रचनात्मकता, नवाचार और मानवीय प्रगति के एक साधन के रूप में अपनाएँ।

यह विशेष कार्यक्रम अपने उद्देश्य में पूर्णतः सफल रहा। इसने छात्रों में एआई के प्रति जिज्ञासा और उत्सुकता को बढ़ाया, शिक्षकों को नई शिक्षण विधियों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया और कॉलेज में तकनीकी नवाचार की संस्कृति को मजबूत किया।

जी.डी.सी. ज़कूरा का यह प्रयास न केवल शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि यह संस्थान भविष्य की ज़रूरतों के प्रति संवेदनशील और तैयार है।

इस आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब तकनीक और मानवीय मूल्य एक साथ चलते हैं, तो शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति का माध्यम नहीं रहती, बल्कि समाज परिवर्तन का उपकरण बन जाती है। गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज ज़कूरा की यह पहल आने वाले समय में कश्मीर के शैक्षणिक परिदृश्य में एक नई दिशा तय कर सकती है।