कैसी रही 2014 से 2024 तक, भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 13-04-2024
How was the pace of Indian economy from 2014 to 2024?
How was the pace of Indian economy from 2014 to 2024?

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली 

देश में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो गई है. नरेंद्र मोदी सरकार जनता के बीच तीसरे कार्यकाल का आशीर्वाद लेने पहुंच रही है. वहीं विपक्षी दलों के नेता भी जनता के बीच हैं और सरकार की खामियां गिनाकर जनता से अपील कर रहे हैं कि उन्हें सरकार बनाने का मौका दें ताकि देश की जो अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई है, उसे फिर से वापस पटरी पर लाया जा सके. सभी के अपने-अपने दावे हैं और इसी को लेकर सभी जनता के बीच पहुंचे हैं.
 
ऐसे में आंकड़ों के नजरिए से इस बात को समझना जरूरी है कि क्या विपक्ष जो दावा कर रहा है वह सही है या सरकार के दावे में दम है. दरअसल, कुछ लोगों की तरफ से दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार आए या ना आए, लेकिन, भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन करती रहेगी.
 
ऐसे में दस साल के मोदी सरकार के कार्यकाल में क्या अर्थव्यवस्था में कोई बदलाव आया, इसको समझने के लिए आंकड़ों पर नजर डालने की जरूरत है. देश एक समय पर दुनिया की पांच सबसे कमजोर और सुस्त अर्थव्यवस्था वाले देश से शीर्ष पांच अर्थव्यवस्था वाले देश में शामिल हो गया है. जीडीपी ग्रोथ की बात करें तो वित्त वर्ष 2014 की चौथी तिमाही में जहां यह 4.6 प्रतिशत थी, वहीं वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही के नतीजों की मानें तो यह 8.4 प्रतिशत अंकित किया गया.
 
वहीं, सीएजीआर मुद्रास्फीति की बात करें तो 2004-14 के बीच यह 8.7 प्रतिशत थी, जो 2014-24 के बीच 4.8 प्रतिशत हो गई है. देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की बात करें तो यह 2014 में 36 बिलियन डॉलर के मुकाबले बढ़कर 2022 में 83.5 बिलियन डॉलर हो गया है.
 
भारत का निर्यात बाजार जो 2014 में 466 बिलियन डॉलर का था, वह 2023 तक आते-आते 776 बिलियन डॉलर का हो गया. वहीं, विदेशी मुद्रा भंडार की बात करें तो 2014 के 303 बिलियन डॉलर के मुकाबले यह बढ़कर 2024 में 645 बिलियन डॉलर हो गया.
 
जबकि, देश के करेंट अकाउंट घाटा (डेफिसिट) की जीडीपी की तुलना में बात करें तो 2013 में 5.1 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में घटकर 1.2 प्रतिशत हो गया है.
 
वहीं, 10 सालों में ब्याज दरों में आई भारी गिरावट मध्यम वर्ग के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुई है. 2014 में जहां शिक्षा ऋण की ब्याज दर 14.25 प्रतिशत, होम लोन की 10.15 प्रतिशत, ऑटो लोन की 10.95 प्रतिशत और पर्सनल लोन की 14.25 थी. वहीं, 2024 के आंकड़ों को देखें तो शिक्षा ऋण 8.15 प्रतिशत, होम लोन 8.35 प्रतिशत, ऑटो लोन 7.25 प्रतिशत और पर्सनल लोन की ब्याज दर 10.50 प्रतिशत है.
 
2014 और 2024 के बीच देश की अर्थव्यवस्था को लेकर अखबारों के शीर्षक पर भी गौर करें तो बहुत कुछ स्पष्ट हो जाएगा. 2014 में अखबारों की सुर्खियों में '25 साल में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे बुरे दौर में, जीडीपी ग्रोथ 4.7 प्रतिशत', 'भारत की आर्थिक विकास दर निराश करती है', '2012-13 में औद्योगिक विकास दर घटकर 20 साल के निचले स्तर 1% पर आ गई', 'बैंकों की नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स 2013 में 50% बढ़ी : रिपोर्ट', 'रुपया दुनिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में से एक'.
 
वहीं, 2024 में अखबार की सुर्खियों पर नजर डालें तो '2014 में भारत तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा', 'भारत की अर्थव्यवस्था 8.4% की वृद्धि के साथ उम्मीदों से बेहतर', 'भारत का विनिर्माण पीएमआई 2008 के बाद से उच्चतम स्कोर पर : मार्च में 59.1', 'वित्त वर्ष 24 के अंत तक बैंक एनपीए दशक के सबसे निचले स्तर 3.8% पर पहुंच जाएगा : क्रिसिल', 'अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले रुपया सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रहा है'.