From Maha Kumbh to 150 years of 'Vande Mataram', India celebrates cultural heritage in 2025
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
जनवरी-फरवरी में आयोजित महाकुंभ से लेकर नवंबर में ‘वंदे मातरम्’ की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सालभर आयोजित होने वाले समारोहों की शुरुआत तक, साल 2025 में संस्कृति मंत्रालय बेहद व्यस्त रहा।
साल जाते जाते दीपावली को रोशनी के पर्व के रूप में यूनेस्को की मान्यता मिली।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान ‘कलाग्राम’ के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया गया। 10.24 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला ‘कलाग्राम’ एक संवेदनात्मक यात्रा बताता था, जिसमें भारत की सांस्कृतिक विरासत के मूर्त और अमूर्त दोनों पहलुओं को एक साथ प्रस्तुत किया गया।
अवसर को खास बनाने के लिए महाकुंभ का लोगो विभिन्न केंद्रीय संरक्षित स्मारकों पर दिखाया गया।
संस्कृति मंत्रालय ने नवंबर में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सालभर चलने वाले समारोहों की शुरुआत की। इसी दौरान भोपाल में अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती का भव्य आयोजन किया गया और देशभर में सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती मनाई गई।
वर्ष 2025 के दूसरे हिस्से में भारत को यूनेस्को से दो महत्वपूर्ण मान्यताएं मिलीं। पहली, ‘भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य’ को जुलाई में पेरिस में आयोजित विश्व धरोहर समिति के 47वें सत्र के दौरान विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।
‘भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य’ के 12 घटक महाराष्ट्र का साल्हेर किला, शिवनेरी किला, लोहगढ़ किला, खंडेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजयदुर्ग और सिंधुदुर्ग; तथा तमिलनाडु का जिंजी किला हैं।