पहली कश्मीरी महिला फोटो जर्नलिस्ट सना इरशाद मट्टू पुल्तिजर से सम्मानित, दानिश को दूसरी बार मिला सम्मान

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 10-05-2022
पहली कश्मीरी महिला फोटो जर्नलिस्ट सना इरशाद मट्टू पुल्तिजर से सम्मानित, दानिश को दूसरी बार मिला सम्मान
पहली कश्मीरी महिला फोटो जर्नलिस्ट सना इरशाद मट्टू पुल्तिजर से सम्मानित, दानिश को दूसरी बार मिला सम्मान

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली

सना इरशाद मट्टू प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार जीतने वाली पहली कश्मीरी महिला फोटोग्राफर बन गईं. एक दिन पहले वाशिंगटन में उनके नाम का एलान किया गया. इनके अलावा रॉयटर्स के फोटोग्राफर दानिश सिद्दीकी को मरणोपरांत, अदनान आबिदी और अमित दवे को कोविड की तस्वीरों के लिए पुलित्जर से सम्मानित किया गया है.

यूक्रेन के पत्रकारों को 2022के पुलित्जर पुरस्कार विशेष प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया है. उल्लेखनीय है कि दानिशपिछले साल अफगानिस्तान में मारे गए थे. पुलित्जर पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा सोमवार को यहां की गई.

पुलित्जर पुरस्कारों की सूची में पत्रकारों के अलावा लेखक, नाटककार और संगीतकार आदि भी शामिल हैं.पत्रकारिता के उच्च सम्मान जूरी द्वारा संयुक्त राज्य में पत्रकारों को कैपिटल हिल पर 6जनवरी के हमलों, अफगानिस्तान से निकासी, और सर्फ-साइड कंडोमिनियम के उन्मूलन के कवरेज के लिए भी सम्मानित किया गया है.

दानिश सिद्दीकी ,अदनान आबिदी, सना इरशाद मट्टू और अमित दवे, जो रॉयटर्स के फोटोग्राफर हैं को भारत में कोविड से हुई मौतों की उनकी उल्लेखनीय तस्वीरों के लिए पुलित्जर से सम्मानित किया गया है.

दानिश की मौत

भारतीय पुरस्कार विजेता फोटोग्राफर दानिश सिद्दीकी की 18जुलाई, 2021को कंधार में तालिबान के हमले में मौत हो गई थी. उस दौरान तालिबान और अफगान बलों के बीच लड़ाई चल रही थी. दानिश सिद्दीकी की मौत की घोषणा अफगान राजदूत फरीद मामुनजादा ने की थी. मृतक फोटो पत्रकार जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र रहे हैं.

दानिश किए गए थे सम्मानित

पिछले साल दिसंबर में दानिश सिद्दीकी को जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर अवॉर्ड 2020से भी नवाजा गया था. सिद्दीकी को यह पुरस्कार खोजी और प्रभावशाली समाचार फोटोग्राफी में उनके योगदान के लिए दिया गया था.

यह पुरस्कार उनकी पत्नी फ्रेडरिक सिद्दीकी ने प्राप्त किया था. भारत के मुख्य न्यायाधीश वी रमन ने मुंबई प्रेस क्लब द्वारा आयोजित एक समारोह में वार्षिक ‘पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए उन्हें यह सम्मान दिया था.

इस बीच, मुख्य न्यायाधीश ने दानिश सिद्दीकी को याद किया और कहा, अफगानिस्तान में सिद्दीकी की मौत ने एक बार फिर उचित सुरक्षा के मुद्दे को उजागर किया है. युद्ध क्षेत्रों में पत्रकारों के लिए प्रोटोकॉल और सुरक्षा बेहद जरूरी है.

युद्ध, आंदोलनों और महामारी

दानिश सिद्दीकी का जन्म 19 मई 1983 को हुआ था. जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली से मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद वे पत्रकार बने. वे 2010 से रॉयटर्स से जुड़े हुए थे.

उन्हें अपने पेशे के प्रति जुनून था. दानिश सिद्दीकी ने इससे पहले अफगानिस्तान और इराक युद्ध, रोहिंग्या संकट, हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों और भारतीय एनआरसी के साथ कोरोना महामारी को अपने कैमरे में कैद किया था.

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सना इरशाद मट्टू कौन हैं ?

श्रीनगर की रहने वाली सना सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर से कन्वर्जेंट जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएट हैं. उनकी रचनाएं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्रकाशनों जैसे अल जजीरा, द नेशन, टाइम, टीआरटी वर्ल्ड, साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट और कारवां पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं.

उन्हें फीचर फोटोग्राफी में यह पुरस्कार दिया गया है.सना ने कहा, ‘‘मैं बहुत खुशी महसूस कर रही हूं, अल्लाह का शुक्र है. अभी तो शुरुआत है. आगे और भी मंजिलें हैं.‘‘ उन्होंने आगे कहा, ‘‘मैं यह अवॉर्ड दानिश साहब के साथ ले रहा हूं, जो इस वक्त इस दुनिया में नहीं हैं.

मुझे उनकी याद आ रही है. अगर वो होते तो मुझे और खुशी होती.‘‘ 2021 में सना मैग्नम फाउंडेशन की ‘फोटोग्राफी एंड सोशल जस्टिस फेलो‘ बनी हैं. वह पिछले दो साल से अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के साथ काम कर रही हैं.

इस बीच जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट करते हुए फोटो पत्रकार सना इरशाद मट्टू को पुलित्जर पुरस्कार जीतने पर बधाई दी. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में पत्रकार बनना आसान नहीं है, हमें सना इरशाद मट्टू पर गर्व है.‘‘