पहलगाम हमले में NIA की गिरफ्तारी पर बोले फारूक अब्दुल्ला - 'अब पता चलेगा आतंकी कौन थे'

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 22-06-2025
Farooq Abdullah said on NIA's arrests in Pahalgam attack - 'Now we will know who the terrorists were'
Farooq Abdullah said on NIA's arrests in Pahalgam attack - 'Now we will know who the terrorists were'

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

 
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले की जांच में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा की गई दो अहम गिरफ्तारियों का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इससे मामले की परतें खुलेंगी और यह पता चलेगा कि हमला करने वाले आतंकी कौन थे और वे कहां से आए थे.
 
फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को ANI से बात करते हुए कहा, “अब हमें उनसे पता चलेगा कि ये (आतंकी) कौन थे और कहां से आए थे. अगर इन्हें सही तरीके से पकड़ा गया है तो यह हमारे लिए बहुत अच्छी बात है। इससे धीरे-धीरे हम उन तक पहुंच पाएंगे जिन्होंने पहलगाम हमला किया. गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में हुए आतंकवादी हमले में 26 नागरिकों, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. यह हमला धार्मिक पहचान के आधार पर किया गया था, जिसे अब तक के सबसे वीभत्स आतंकी हमलों में से एक माना जा रहा है.
 
रविवार को NIA ने जानकारी दी कि उसने दो स्थानीय व्यक्तियों—परवेज़ अहमद जोठार (बाटकोट, पहलगाम) और बशीर अहमद जोठार (हिल पार्क, पहलगाम)—को गिरफ़्तार किया है. जांच में सामने आया है कि इन दोनों ने हमले से पहले तीन पाकिस्तानी आतंकियों को हिल पार्क के एक अस्थायी ढोक (झोपड़ी) में पनाह दी थी, जहां उन्हें भोजन, आश्रय और अन्य सहायता भी प्रदान की गई थी.
 
NIA के अनुसार, पूछताछ में परवेज़ और बशीर ने यह स्वीकार किया है कि हमलावर पाकिस्तानी नागरिक थे और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े हुए थे—जो एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है. इन दोनों आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA), 1967 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया है. यह केस (RC-02/2025/NIA/JMU) उस हमले के बाद दर्ज किया गया था जिसने ना सिर्फ देश को, बल्कि पूरी दुनिया को हिला दिया था.
 
NIA की जांच फिलहाल जारी है, और एजेंसी यह पता लगाने में जुटी है कि आतंकियों को और किसने मदद की, और इस हमले की योजना कहां और कैसे बनाई गई थी. यह मामला अब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के नेटवर्क और सीमा पार से आतंकी घुसपैठ के एक बड़े संकेत के रूप में देखा जा रहा है. फारूक अब्दुल्ला जैसे वरिष्ठ नेता की प्रतिक्रिया से स्पष्ट है कि राज्य के नेता भी इस हमले को लेकर चिंतित हैं और मामले में पूरी पारदर्शिता व न्याय की अपेक्षा कर रहे हैं.