हर घर तिरंगा अभियान से जुड़ेगा राष्ट्रध्वज के साथ प्यारा रिश्ता, नवीन जिंदल का अहम योगदान

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 05-08-2022
हर घर तिरंगा
हर घर तिरंगा

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'हर घर तिरंगा' अभियान की घोषणा की है. इस अभियान के तहत देश के 24 करोड़ घरों में 13 से 15 अगस्त के बीच तिरंगे झंडे फहराए जाएंगे. यह अभियान देश की आजादी के अमृत महोत्सव के तहत किया जा रहा है.

इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों और नेताओं ने सोशल मीडिया पर अपनी डीपी (डिस्प्ले पिक्चर) में तिरंगा लगाया है. सोशल मीडिया में भी यह अभियान जोर पकड़ रहा है और बहुत सारे लोगों ने अपनी फोटो पर तिरंगा लगाया है.

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सरकार का कहना है कि इस अभियान से देश के नागरिकों का तिरंगे के साथ रिश्ता और गहरा होगा और लोगों में देशभक्ति की भावना प्रबल होगी. हालांकि, बीबीसी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में फिलहाल 4 करोड़ झंडे ही उपलब्ध है. इसका अर्थ यह हुआ कि बाकी के झंडों का निर्माण तेज गति से करना होगा और इसके लिए तेजी से काम चल भी रहा है.

केंद्र सरकार के मुताबिक, राष्ट्रीय ध्वजतीन आकार में उपलब्ध होगें और तीनों की कीमत भी अलग अलग होगी. 9 रुपये, 18 रुपये और 25 रुपये के झंडे.पंचायतों, दुकानदारों, स्कूल, कॉलेजों को इससे जुड़ने का निर्देश जारी किया गया है. 1 अगस्त से डाक घरों पर भी झंडा मिलना शुरू हो गया है.

राष्ट्रीय ध्वज संहिता, 2002 के मुताबिक, राष्ट्रीय ध्वज केवल हाथ से बुना हुआ या या हाथ से बुने हुए कपड़ों से ही बनाया जा सकता था. लेकिन 2021 के दिसंबर महीने में ध्वज संहिता में बदलाव किए गए. इस नए नियम के मुताबिक, अब राष्ट्रीय ध्वज, हाथ से कातकर, हाथ से बुनकर या मशीन से बनाए कपड़ों के रेशम, सूती, पॉलिस्टर के बना भी हो सकता है.

बहरहाल, इस हर घर तिरंगा अभियान के तहत ऐसा लगता है कि लोगों का राष्ट्रीय ध्वज के साथ निजी रिश्ता तैयार होगा, जबकि इससे पहले राष्ट्रीय ध्वज के साथ सिर्फ संस्थागत रिश्ता था और यह औपचारिक किस्म का नाता था.

इस दिशा में पहल की थी उद्योगपति नवीन जिंदल ने. पूर्व सांसद नवीन जिंदल ने ही देश के नागरिकों को तिरंगा फहराने का अधिकार दिलवाया था और इसके लिए उन्होंने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी. इस अधिकार को हासिल करने के बाद जिंदल ने हरियाणा, दिल्ली समेत कई जगहों पर गगनचुंबी खंभों पर विशालकाय तिरंगे लगवाए.

असल में, नवीन जिंदल का राष्ट्रीय ध्वज के लिए जुनून अमेरिका में टेक्सास विश्वविद्यालय में अपने छात्र जीवन के दौरान शुरू हुआ. 1992में भारत वापस आने के बाद, नवीन ने अपने कारखाने में पर रोज तिरंगा फहराना शुरू कर दिया. लेकिन, ऐसा करने पर जिला प्रशासन ने उन्हें मना किया और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी.

ऐसे में जिंदल ने भारत के नागरिकों को अपने राष्ट्र ध्वज को निजी तौर पर फहराने के अधिकार को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला जिंदल के पक्ष में सुनाया. जिंदल को यह कानूनी लड़ाई सात साल तक लड़नी पड़ी थी.

जिंदल के मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश के हर नागरिक को आदरके साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार है. कोर्ट के इस आदेश के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ध्वज संहिता में संशोधन किया. इससे पहले भारत के नागरिकों को खास कर अपने घरों या निजी कार्यालयों में स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस के अलावे किसी भी दिन राष्ट्रध्वज फहराने का अधिकार नहीं था.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, 26जनवरी, 2002से देश के नागरिकों को किसी भी दिन राष्ट्रध्वज को फहराने का अधिकार दिया गया,लेकिन इसके साथ शर्त थी कि राष्ट्रध्वज को फहराने के क्रम में “राष्ट्र ध्वज की प्रतिष्ठा,गरिमा बरकरार रहे और किसी भी स्थिति में इसका अपमान न होने पाए. यह राष्ट्र का प्रतीक है और सर्वोपरि है.”

हालांकि, बाद में साल 2009 में नवीन जिंदल ने गृह मंत्रालय को प्रस्ताव दिया कि देश में रात को भी विशाल ध्वजदंड पर तिरंगा फहराने की अनुमति दी जाए. गृह मंत्रालय ने उनका यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया लेकिन इसके पीछे शर्त लगाई कि तिरंगा किसी भी हालत में अंधेरे में नहीं होना चाहिए और उस पर पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए.

इसके बाद ही जिंदल ने कुरुक्षेत्र, हिसार जैसी जगहों पर विशाल ध्वजदंडों पर बड़े-बड़े तिरंगे लगवाए. अब हर घर तिरंगा अभियान से तिरंगे को नागरिकों के घरों तक पहुंचने का एक नया दौर शुरू हो रहा है.