आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले वाणिज्यिक वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने से पहले पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर (ईसीसी) का भुगतान करने से दी गई एक दशक पुरानी छूट वापस ले ली है.
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन तथा न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने यह आदेश 26 सितंबर को पारित किया, जिसे हाल ही में सार्वजनिक किया गया.
पीठ ने कहा कि अक्टूबर 2015 में दी गई यह छूट ‘‘वास्तविक परिचालन कठिनाइयां’’ पैदा कर रही थी और कर के उद्देश्य को कमजोर कर रही थी.
पीठ ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के आवेदन को स्वीकार कर लिया, जिसमें ‘‘इस न्यायालय के नौ अक्टूबर 2015 के आदेश के अनुसरण में आवश्यक वस्तुएं जैसे सब्जियां, फल, दूध, अनाज, अंडा, बर्फ (खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग किए जाने के लिए), पोल्ट्री सामान... आदि ले जाने वाले वाणिज्यिक वाहनों को ईसीसी से दी गई छूट को हटाने का अनुरोध किया गया था.
निगम ने बताया कि अदालत द्वारा दी गई छूट के कारण वाहनों को रोककर यह जांचना पड़ता है कि वे आवश्यक वस्तुएं ले जा रहे हैं या नहीं। इससे काफी वक्त बर्बाद होता है और वाहन लगातार धुआं उत्सर्जित करते हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है.
पीठ ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि यह वास्तव में एक परेशानी है। वाहनों में ले जा रही सामग्री का बाहरी निरीक्षण करना कठिन है। इसलिए सभी वाहनों को जांच चौकी पर रोकना पड़ता है और उनकी जांच करनी पड़ती है, जिससे लंबी रुकावटें होती हैं और वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती है.