ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
चरित्र की विशेषताएँ:
लंका का राक्षस राजा और ब्राह्मण माता से उत्पन्न रावण एक अत्यंत विद्वान, शिव भक्त, और शक्तिशाली योद्धा था।
उसकी सबसे बड़ी कमजोरी उसका अहंकार और वासनात्मक लालसा थी, जिसने उसे पतन की ओर ले जाया।
उसने माता सीता का हरण कर राम के कोप को आमंत्रित किया और धर्म के विरुद्ध युद्ध को जन्म दिया।
प्रमुख दोष:
अत्यधिक अभिमान और स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानना।
स्त्रियों के प्रति अनुचित वासना – विशेषकर सीता को प्राप्त करने की लालसा।
धर्म के विपरीत कार्य करना, जैसे छलपूर्वक सीता का हरण।
चरित्र की विशेषताएँ:
रावण की बहन, शूर्पणखा का परिचय एक रूपविहीन राक्षसी के रूप में होता है, जो लक्ष्मण से विवाह की इच्छा प्रकट करती है।
लक्ष्मण द्वारा उसकी अवहेलना और अपमान ने उसमें प्रतिशोध की भावना भर दी।
प्रमुख दोष:
अत्यधिक वासना और हठ, बिना सहमति के प्रेम की चाह।
अपमानित होने पर क्रोध और षड्यंत्र का सहारा लेना।
रावण को भड़काकर सीता के हरण के लिए प्रेरित करना – यह सम्पूर्ण युद्ध का प्रमुख कारण बना।
चरित्र की विशेषताएँ:
रावण का भाई और एक महाबली योद्धा, जो लम्बे समय तक सोया रहता था।
स्वभाव से धर्मनिष्ठ और न्यायप्रिय, लेकिन भाई की आज्ञा का पालन करते हुए युद्ध में सम्मिलित हुआ।
प्रमुख दोष:
धर्म और अधर्म में भेद की समझ होने के बावजूद मौन समर्थन।
अपने बल का उपयोग विनाश के लिए करना।
विशेष बात: कुम्भकर्ण का चरित्र विरोधाभासों से भरा है – वह सही को जानता है लेकिन भाईभक्ति में गलत का साथ देता है।
चरित्र की विशेषताएँ:
रावण का पुत्र, जिसने इंद्र को पराजित कर ‘इंद्रजीत’ की उपाधि पाई।
अत्यंत शक्तिशाली, मायावी और युद्धनीति में दक्ष।
प्रमुख दोष:
अपनी शक्ति पर अत्यधिक गर्व और दंभ।
धोखे से युद्ध करना – जैसे लक्ष्मण पर नागपाश चलाना।
विशेष बात: इंद्रजीत का अंत लक्ष्मण द्वारा होता है, जो धर्म और मर्यादा का प्रतीक हैं।
चरित्र की विशेषताएँ:
कैकेयी की दासी, जिसने राम के राज्याभिषेक से पहले कैकेयी के मन में ईर्ष्या और डर का बीज बोया।
चालाक और कूटनीति में माहिर।
प्रमुख दोष:
मन की कुंठा और द्वेष से प्रेरित होकर पूरे राज्य के लिए संकट खड़ा करना।
कैकेयी को भरत के लिए राज्य मांगने और राम को वनवास देने के लिए उकसाना।
चरित्र की विशेषताएँ:
राजा दशरथ की प्रिय रानी और भरत की माँ।
युद्धभूमि में राजा की प्राणरक्षा के बदले दो वरदान प्राप्त किए थे।
प्रमुख दोष:
मंथरा के बहकावे में आकर राजनीति और स्वार्थ में फँस जाना।
ममता में अंधी होकर, राम को वनवास दिलवाना और भरत के लिए राज्य माँगना।
विशेष बात: कैकेयी का पश्चाताप दिखाता है कि नकारात्मक निर्णय का पछतावा देर से होता है, पर उसका प्रभाव अमिट होता है।
रामायण केवल राम और रावण की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह मनुष्य के अंदर के गुणों और दोषों की लड़ाई है। रावण, शूर्पणखा, मेघनाद, कुम्भकर्ण, मंथरा और कैकेयी जैसे नकारात्मक पात्र यह दर्शाते हैं कि अहंकार, वासना, ईर्ष्या, और स्वार्थ किस प्रकार विनाश का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इन पात्रों की गलतियाँ ही रामायण को एक नैतिक शिक्षा का ग्रंथ बनाती हैं।