E-KYC of over 56 per cent workers under MNREGA completed: Rural Development Ministry
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि राज्यों द्वारा मनरेगा के तहत 56 प्रतिशत से अधिक सक्रिय श्रमिकों का ई-केवाईसी पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत ‘‘जॉब कार्ड’ सत्यापन एक "सतत प्रक्रिया" है।
ई-केवाईसी की शुरुआत के साथ ही बड़ी संख्या में जॉब कार्ड खत्म होने को रेखांकित करने वाली एक रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद जारी एक बयान में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा कि 99.67 प्रतिशत सक्रिय श्रमिकों के आधार पहले ही जोड़े जा चुके हैं और ई-केवाईसी सुविधा का उपयोग "जॉब कार्ड के सत्यापन के एक सरल, विश्वसनीय, सटीक और कुशल तरीके" के रूप में किया जा सकता है।
कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों के एक संघ, लिबटेक इंडिया ने इस सप्ताह की शुरूआत में बताया था कि 10 अक्टूबर से 14 नवंबर के बीच पूरे भारत में लगभग 27 लाख मनरेगा श्रमिकों को नौकरी से हटा दिया गया तथा इस बड़ी संख्या को "अत्यधिक असामान्य" बताया था।
हालांकि, कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं किया गया, लेकिन बताया गया कि यह वृद्धि उस अवधि के साथ मिलती है जब एक नवंबर 2025 से योजना के तहत ई-केवाईसी अनिवार्य हो गया था और कार्ड खत्म होने में वृद्धि उसी तत्काल अवधि में दिखाई देती है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपने बयान में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि जॉब कार्ड जारी करना, सत्यापन और नवीनीकरण आदि से संबंधित गतिविधियां ग्राम पंचायतों जैसी पंचायत राज संस्थाओं के माध्यम से राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।
इसमें कहा गया है कि जॉब कार्ड सत्यापन एक सतत प्रक्रिया है, जबकि जॉब कार्ड का नवीनीकरण पांच साल में एक बार करना होता है। इन वैधानिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और सहयोग देने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया है कि वे मौजूदा प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद जॉब कार्ड सत्यापन और उसके बाद नवीनीकरण के लिए एनएमएमएस ऐप (नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) में पहले से उपलब्ध ई-केवाईसी सुविधा का उपयोग करें।