नई दिल्ली
रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को जानकारी दी कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने उद्योग जगत के भागीदारों को तीन आधुनिक सामग्री (मैटेरियल) प्रौद्योगिकियां हस्तांतरित की हैं। यह कदम देश में रक्षा क्षेत्र की तकनीकी आत्मनिर्भरता को और सशक्त बनाने की दिशा में उठाया गया है।
डीआरडीओ के अध्यक्ष और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने हाल ही में आयोजित एक कार्यक्रम में संबंधित उद्योग भागीदारों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हेतु लाइसेंसिंग समझौते (एलएटीओटी) के दस्तावेज सौंपे।
मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, यह तकनीकी हस्तांतरण हैदराबाद स्थित डीआरडीओ की रक्षा धातुकर्म अनुसंधान प्रयोगशाला (डीएमआरएल) द्वारा किया गया, जिसने इन तीन उन्नत सामग्रियों की प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं। इन सामग्रियों का उपयोग रक्षा उत्पादन, एयरोस्पेस, और अन्य उच्च तकनीकी क्षेत्रों में किया जा सकता है।
इस अवसर पर एक और महत्वपूर्ण समझौता हुआ, जिसमें डीएमआरएल और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते का उद्देश्य विमान दुर्घटनाओं की जांच में डीएमआरएल की विशेषज्ञता, सुविधाओं और अनुसंधान क्षमताओं का उपयोग करना है।
एलएटीओटी हस्तांतरण कार्यक्रम 30अगस्त को डीएमआरएल, हैदराबाद में आयोजित किया गया था, जिसमें कई रक्षा वैज्ञानिक, उद्योग प्रतिनिधि और अधिकारियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में बोलते हुए डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में डीएमआरएल की भूमिका की सराहना की और कहा कि ऐसे सफल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण देश को आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग से रक्षा क्षेत्र में नवाचार और उत्पादन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
इस कदम से डीआरडीओ के सहयोगात्मक नवाचार मॉडल को और बल मिलेगा, जो निजी उद्योगों को अत्याधुनिक तकनीकों से जोड़कर देश की रक्षा उत्पादन क्षमता को सशक्त करता है।