संवाद से सुलझें विवाद, न कि ताक़त से: पूर्व सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने दोहराया भारत का शांति संदेश

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 19-08-2025
Disputes should be resolved through dialogue, not by force: Former Army Chief General Naravane reiterated India's message of peace
Disputes should be resolved through dialogue, not by force: Former Army Chief General Naravane reiterated India's message of peace

 

पुणे (महाराष्ट्र)

पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने रविवार को कहा कि भारत हमेशा विवादों को संवाद और चर्चा के माध्यम से सुलझाने का पक्षधर रहा है, न कि बल प्रयोग से। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कथन— “यह युद्ध का युग नहीं है”—को दोहराते हुए कहा कि युद्ध को हमेशा अंतिम विकल्प होना चाहिए।

पुणे स्थित आरआईआईएम बिज़नेस स्कूल में अपनी पुस्तक “द कैंटोनमेंट कॉन्सपिरेसी” के विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा,“भारत हमेशा यही कहता आया है कि विवादों का समाधान बातचीत और विचार-विमर्श से होना चाहिए, न कि बल प्रयोग से। यही कारण है कि हमारे प्रधानमंत्री लगातार कहते हैं—‘यह युद्ध का युग नहीं है’। युद्ध सिर्फ़ अंतिम उपाय होना चाहिए।”

जनरल नरवणे ने ज़ोर दिया कि भारत हमेशा से सीमाओं को एकतरफ़ा बल प्रयोग कर बदलने का विरोधी रहा है। उन्होंने कहा,“हमें यह देखना होगा कि क्या हम यह स्वीकार करते हैं कि एक ताक़तवर देश सिर्फ़ बल प्रयोग कर सीमाओं को बदल सकता है। भारत ने हमेशा इसका विरोध किया है।”

उन्होंने हाल ही में अलास्का शिखर सम्मेलन के बाद की वैश्विक परिस्थितियों पर भी टिप्पणी की। नरवणे के अनुसार, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक के नतीजे मिश्रित रहे, जिससे यूरोपीय देशों में आशंका बढ़ गई है।

“उन्होंने कहा,यूरोपीय देश चिंतित हैं कि कहीं अमेरिका और रूस के बीच कोई परदे के पीछे समझौता न हो जाए, जो उनके हितों को दरकिनार कर दे। यह एक बड़ा वैश्विक खेल है और कहना मुश्किल है कि आगे क्या होगा.” 

गौरतलब है कि शुक्रवार को अमेरिका और रूस के बीच बहुप्रतीक्षित अलास्का सम्मेलन संपन्न हुआ। राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे “बेहद सफल दिन” करार दिया और कहा कि शांति समझौता ही रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने का सबसे बेहतर रास्ता है।

इसके बाद ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की, कई यूरोपीय नेताओं और नाटो महासचिव से भी बातचीत की और इस बात पर सहमति जताई कि स्थायी शांति समझौता ही युद्ध समाप्त कर सकता है, न कि सिर्फ़ अस्थायी युद्धविराम।

इसी बीच, ज़ेलेंस्की सोमवार को व्हाइट हाउस पहुंचे और ट्रंप से मुलाकात की। बैठक के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ़ोन कर अलास्का वार्ता के अपने अनुभव साझा किए।

पीएम मोदी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत लगातार यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करता है और इस दिशा में हर प्रयास के साथ खड़ा है।
उन्होंने पुतिन का धन्यवाद करते हुए एक्स पर लिखा,“अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन का आभारी हूं जिन्होंने अलास्का में राष्ट्रपति ट्रंप से हुई बैठक के बारे में अपने विचार साझा किए। भारत लगातार यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का पक्षधर है और इस दिशा में किए जा रहे सभी प्रयासों का समर्थन करता है। आने वाले दिनों में हमारे संवाद जारी रहने की आशा है।”