डिस-इनफो लैब की रिपोर्ट से भिंडर-पीटर के खुलेंगे कई राज

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 16-02-2021
डिस-इनफो लैब की रिपोर्ट से भिंडर-पीटर के खुलेंगे कई राज
डिस-इनफो लैब की रिपोर्ट से भिंडर-पीटर के खुलेंगे कई राज

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

ग्रेटा थनबर्ग के ‘टूलकिट’ से जुड़ा विवाद बहुत दूर तक जा सकता है. डिजिटल एवं सोशल मीडिया पर आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखने वाली संस्था ‘डिस-इनफो लैब’ की एक रिपोर्ट की माने तो इस विवाद के तार भारत की छवि खराब करने तथा अनावश्यक भ्रम फैला कर देश के खिलाफ ‘मनोवैज्ञानिक वार’ छेड़ने वाले से जुड़े हो सकते हैं.

यह ऑपरेशन ‘के 2’ का हिस्सा है, जिसके पीछे दिमाग है एक विदेशी पीटर फ्रेडरिक, पड़ोसी देश पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और इसके इशराने पर नाचने वाले खालिस्तान समर्थक मलेशिया मूल के भजन सिंह भिंदर उर्फ इकबाल चैधरी का.
 
‘डिस-इनफो लैब’ ने ‘द अन एंडिंग वार’ नाम से 97 पेज की यह डिजिटल रिपोर्ट अपने ट्विटर हैंडल पर जारी कर कई खुलासे किए हैं. इसमें दावा किया गया है कि दरअसल यह ‘इनफो-वार’ यानी ‘मनोवैज्ञानिक जंग’ आपरेशन ‘के 2’ का नया वर्जन है, जिसका एक मात्र उद्देश्य  ‘कश्मीर एवं खालिस्तान’ समर्थक लोगों को इकट्ठा कर उन्हें भारत के खिलाफ भड़काना. विदेश में भारत की छवि खराब करना.
 
opration k 2
के 2 का फैला जाल
रिपोर्ट में बताया गया कि आपरेशन ‘के 2’ 90 के दशक के आस-पास पलान किया गया था. तब एक मात्र उद्देश्य था भारत में विघटनकारी समूहों को विदेश से हथियार सप्लाई कर खून-खराबा कराना. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तब इसके लिए पर्दे के पीछे से भजन सिंह भिंदर को आईएसआई के अलावा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के राज्यपाल चौधरी अलताफ हुसैन एवं पाकिस्तान के मौजूदा केंद्रीय मंत्री फव्वाद चौधरी के चाचा सहित कुछ नामचीन पाकिस्तानियों का समर्थन प्राप्त था.
 
‘डिस-इनफो लैब’ की रिपोर्ट में कहा गया कि पीटर थनबर्ग के मामले में पीटर फ्रेडरिक के बारे में छानबीन की गई तो परतें खुलती चली गईं. यह काहानी 1990 के भारत विरोधी आईएसआई की एक घटना से जुड़ी गई. तब देश में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के माध्यम से भारत में बम बलास्ट कराए गए थे. इसमें दो अज्ञात खालिस्तान समर्थकों लाल सिंह एवं भजन सिंह भिंदर की महत्वपूर्ण भूमिका थी. 
 
बाद में लाल सिंह मुंबई के दादर स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया. लाल सिंह की निशानदेही पर हथियारों का जखीरा बरामद किया गया था जिसमें 35 एके 56, दो पिस्तौल, एके 56 की 200 गोलियां सहित 28 तरह के हथियार, विस्फोटक सामग्री और आतंक फैलाने वाले सामान बरामद किए गए थे.
 
रिपोर्ट की मानें तो ‘के 2’ नाम से यह आॅपरेशन लाहौर में अमीर उस्मान एवं जमात-ए-इस्लामी के तत्कालीन सचिव की देख-रेख में प्लांट किया गया था.रिपोर्ट में भिंदर के बारे में बताया गया कि वह अमेरिका में ड्रग एवं डीवीडी पायरेसी माफिया का सरगना रहा है. वह इतना दबंग है कि उसने अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित फर्म माउंट गुरुद्वारे पर हिंसक कार्रवाई के बाद अवैध कब्जा कर लिया था. उसके तार हथियारों की सप्लाई से भी जुड़े हैं. 
 
कई बार उसने हथियारों की खेप अमेरिका से पाकिस्तान के रास्ते भारत में भेजने की कोशिश की है. इस मामले में एक बार अमेरिकी पुलिस के हाथ आते-आते रह गया था. अमेरिका के डीईए के स्पेशल एजेंट टिम लुम ने पहली बार भिंदर के तार हथियारों की सप्लाई से होने का खुलासा किया था.
 
रिपोर्ट के मुताबिक, भिंदर ने 2002 में अपने काम करने का तरीका बदल दिया. हथियार की जगह भारत के खिलाफ प्राॅक्सी वार के लिए ‘इनफो-वार’ को अपना हथियार बनाया. इस दौरान उसने कुछ नामचीन लोगों का इस्तेमाल किया, पर बहुत अधिक कामयाबी नहीं मिली. बताते हैं कि भिंदर की 2006-7 में ईसासियत का प्रचार करने वाले पीटर फ्रेडरिक से मुलाकात हुई, जिसकी लिखावट और बालेने की क्षमता बहुत अधिक प्रभावशील थी. मगर आर्थिक रूप से बहुत कमजोर था. 
 
इसका फायदा उठाते हुए भिंदर ने मोटी रकम का लालच देकर उसे अपनेे षड़यंत्र में शामिल कर लिया. उसे अमेरिका में एक्टिविस्ट के तौर पर प्लांट किया गया. 2007 में कई सामाजिक संगठन अमेरिका में रजिस्टर कराए गए. उनमें प्रमुख संगठन ‘आर्गेनाइजेशन इंडिया मायनारिटी  आएफएमआई था, जिसका पीटर को प्रमुख बनाया गया. मजे की बात है कि उक्त संगठन में भारत के किसी व्यक्ति को शामिल नहीं किया गया. 
 
फिर पीटर को खालिस्तान के एजेंडा पर काम करने वाले ‘सिख इंफार्मेटिव संटर’ से जोड़ा गया. देश-दुनिया के सामने उसे सक्रिय कार्यकर्ता की हैसियत से पेश करने के लिए उसके नाम से कई किताबें प्रकाशित करवाई गईं. उसे जसला-जुलूस में भी पेश किया जाता था. 
 
पीटर के अनेक नाम हैं, जिसका खुलासा कुछ चिट्ठियांें से हुआ है. वह सामाजिक मुद्दों पर होने वाले कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेता रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भिंदर उसके माध्यम से सोशल मीडिया पर चलने वाले नरेटिव को हैक कर अपना नरेटिव सेट करता है. इसके लिए पीटर एवं भिंदर ने भारत के भी कुछ बुद्धिजीवियों को अपनी साजिश का हिस्सा बना लिया है.
 
‘डिस-इनफो लैब’ की रिपोर्ट ‘द अन-एनडिंग वार’ में यह समझाने की कोशिश की गई कि अभी आॅपरेशन ‘के 2’ के चार प्रमुख उद्देश्य हैं. एक विदेशों में भारत की छवि खराब करना, भारत समर्थक अमेरिकी सियासतदानों को निशाना बनाना, प्राॅक्सी वार छेड़कर भारत का भाईचारा बिगाड़ना और देश-विदेश में  महात्मा गांधी की प्रतिमा खंडित कर उनकी अहिंसा की थ्योरी को चोट पहुंचाना.
 
हालाकि, इस रिपोर्ट में कई झोल भी हैं. बावजूद इसके जिस तरह से घटना का क्रमवार जिक्र किया गया तथा इसके समर्थन में आंकड़े, ट्विट्स और दूसरे तथ्य जुटाए गए हैं, वह बहुत हद तक हकीकत के करीब लगते हैं.