आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नजीब अहमद के लापता होने के मामले में सीबीआई द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को सोमवार को स्वीकार कर लिया। नजीब अक्टूबर 2016 में रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गया था और इस मामले ने पूरे देश का ध्यान खींचा था.
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) ज्योति महेश्वरी ने सीबीआई की रिपोर्ट को मंजूर करते हुए मौखिक रूप से कहा कि, “अगर इस मामले में कोई नया सबूत सामने आता है, तो सीबीआई को जांच फिर से शुरू करने की स्वतंत्रता है.
इस केस की जांच पहले दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही थी, लेकिन बाद में इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया था। सीबीआई ने जून 2017 में एफआईआर दर्ज की थी और फिर अक्टूबर 2018 में क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी थी, जिसमें कहा गया कि नजीब के लापता होने को लेकर किसी भी आपराधिक साजिश या घटना के सबूत नहीं मिले हैं.
हालांकि, नजीब की मां फातिमा नफीस ने इस रिपोर्ट के खिलाफ अदालत में आपत्ति जताई थी और एक विरोध याचिका दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि सीबीआई ने मामले की गहराई से जांच नहीं की और यह रिपोर्ट अधूरी है। फातिमा नफीस लगातार यह कहती रही हैं कि उनके बेटे को जेएनयू परिसर में कुछ छात्रों ने धमकाया और मारपीट की थी, जिसके बाद वह लापता हुआ.
सीबीआई की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले में नजीब के दोस्त, उनकी मां, जामिया से एक मित्र, जेएनयू के हॉस्टल वार्डन, और ऑटो चालक समेत कई लोगों के बयान दर्ज किए गए थे। विशेष रूप से हॉस्टल वार्डन ने यह बताया कि उन्होंने नजीब को जेएनयू परिसर से एक ऑटो में जाते हुए देखा था। ऑटो चालक का बयान दिल्ली पुलिस और अदालत दोनों ने दर्ज किया था.
नजीब अहमद के लापता होने से पहले यह आरोप सामने आया था कि उसकी जेएनयू के कुछ छात्रों से बहस और झगड़ा हुआ था, जिसके बाद वह लापता हो गया। इस मामले में देश भर में छात्रों के विरोध प्रदर्शन भी हुए थे और इसे एक बड़ा राजनीतिक और मानवाधिकार का मुद्दा बना दिया गया था।
2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की जांच से असंतुष्ट होते हुए यह मामला सीबीआई को सौंपा था। लेकिन वर्षों की जांच के बाद भी सीबीआई कोई ठोस सुराग नहीं जुटा पाई और 2018 में मामले को बंद करने की सिफारिश करते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी।
अब अदालत के इस फैसले के बाद यह मामला कानूनी रूप से बंद मान लिया जाएगा, लेकिन अगर भविष्य में कोई नया सबूत या जानकारी सामने आती है तो जांच फिर से खोली जा सकती है। नजीब की मां ने कोर्ट के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे न्याय की उम्मीद अब भी नहीं छोड़ेगीं।
यह मामला अब भी कई लोगों के लिए अनुत्तरित सवालों का प्रतीक बना हुआ है—एक छात्र जो अचानक गायब हो गया, और कई वर्षों बाद भी उसका कोई पता नहीं चला। कोर्ट का यह फैसला जहां कानून की दृष्टि से एक निष्कर्ष माना जाएगा, वहीं नजीब की मां और समर्थकों के लिए यह एक अधूरा अंत साबित हो सकता है।