नई दिल्ली
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में जमा वृद्धि में धीरे-धीरे तेजी देखी जा रही है, लेकिन वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में बैंकों की नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) में गिरावट की संभावना है। यह जानकारी फिलिप कैपिटल की एक रिपोर्ट में दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सिस्टम लेवल पर जमा में सुधार हो रहा है जिससे क्रेडिट-टू-डिपॉजिट रेशियो भी सुधर रहा है। अब तक जारी व्यापारिक अपडेट्स के आधार पर कुल क्रेडिट ग्रोथ तिमाही आधार पर 0.4% रही है।
बैंकिंग सेक्टर की नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) में सालाना आधार पर 1% वृद्धि और तिमाही आधार पर 1.5% गिरावट का अनुमान।
NIM में 10 बेसिस पॉइंट तिमाही आधार पर और 30 बेसिस पॉइंट सालाना आधार पर गिरावट की संभावना, क्योंकि फंडिंग की लागत स्थिर बनी हुई है और रेपो से जुड़ी ऋणों से मिलने वाला रिटर्न घटा है।
निजी बैंकों ने बेहतर प्रदर्शन किया है, जहां ऋण वृद्धि 0.5% QoQ और जमा में 1.3% QoQ बढ़ोतरी दर्ज हुई। इनका क्रेडिट-टू-डिपॉजिट रेशियो 92% रहा, जो तिमाही आधार पर 0.8% कम हुआ।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) की ऋण वृद्धि 0.2% QoQ रही और जमा स्तर स्थिर रहा। इनका क्रेडिट-टू-डिपॉजिट रेशियो 78% बना रहा।
निजी बैंकों की NII में 1.9% YoY और 0.8% QoQ की गिरावट संभव।
PSBs की NII में 0.3% YoY और 2.4% QoQ गिरावट अनुमानित।
कुल मुनाफा (PAT) में 3.5% YoY और 0.8% QoQ की वृद्धि संभव है।
PSBs का PAT 7% YoY बढ़ सकता है लेकिन 4.1% QoQ घट सकता है।
निजी बैंकों का PAT 1.4% YoY और 4.2% QoQ बढ़ सकता है।
Q1 FY26 के लिए अनुमानित क्रेडिट लागत 59bps है, जो पिछली तिमाही (Q4 FY25) के 64bps से कम है, लेकिन Q1 FY25 के 52bps से थोड़ी अधिक।