शिक्षा मंत्री ने दो किताबों में गांधी परिवार के महिमामंडन का आरोप लगाया, कांग्रेस ने निंदा की

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 10-07-2025
Education Minister accused two books of glorifying Gandhi family, Congress condemned
Education Minister accused two books of glorifying Gandhi family, Congress condemned

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

राजस्थान के स्कूल शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बृहस्पतिवार को कहा कि 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम से दो किताबें हटाईं जाएंगी। मंत्री ने दावा किया कि ये किताबें केवल गांधी परिवार के कुछ नेताओं का महिमामंडन करती हैं.
 
दिलावर की इस घोषणा से एक नया विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस ने इसे एक वैचारिक प्रहार बताते हुए आरोप लगाया कि यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है.
 
दिलावर ने आरोप लगाया, “ ‘आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत' पुस्तक के भाग 1 और 2 में कांग्रेस के ही कुछ नेताओं को महिमामंडित किया गया है.
 
दिलावर ने आज यहां संवाददाताओं से दावा किया, "इस किताब में सरदार वल्लभभाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ. बीआर आंबेडकर और जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे महान नेताओं का नाम नहीं है. इन पुस्तकों में केवल और केवल गांधी परिवार को महिमामंडित किया गया है जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए, पद और सत्ता के लिए देश में आपातकाल लगाया। लोकतंत्र की हत्या की व संविधान को निलंबित किया."
 
दिलावर ने कहा, "हम अपने छात्रों को ऐसी किताबें नहीं पढ़ाने देंगे. साथ ही, ये किताबें पाठ्यक्रम में अतिरिक्त हैं और परीक्षाओं में अंकों के लिए इनका कोई महत्व नहीं है। फिर छात्रों पर बोझ क्यों डाला जाए?"
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जैसे लोगों का इस किताब में जिक्र होना भी उतना ही जरूरी है.
 
वहीं कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा,' सशक्त भारत के निर्माण में महानायकों का योगदान बताने वाली कक्षा 12वीं की किताबों पर शिक्षा मंत्री द्वारा अनावश्यक विवाद खड़ा करके उन्हें पाठ्यक्रम से हटाने की बयानबाजी करना आरएसएस की संकुचित सोच है व शिक्षा व्यवस्था पर वैचारिक प्रहार है.”
 
उन्होंने कहा कि कक्षा 12वीं की ये किताबें भाजपा सरकार की अनुमति के बाद छापी गई हैं व स्वयं शिक्षा मंत्री और अफसरों ने किताबें छापने की स्वीकृति दी है.
 
कांग्रेस नेता ने कहा कि चार लाख 90 हजार किताबें छप चुकी हैं और 80 फीसदी किताबें विद्यार्थियों को बांटी जा चुकी हैं। उनके मुताबिक, ऐसे में सवाल ये कि अब इन किताबों को पाठ्यक्रम से हटाने का क्या औचित्य है?
 
उन्होंने पूछा कि मंत्री को इन किताबों में अब कौनसी खामी नज़र आ रही है, जो उन्हें पहले नहीं दिखाई दी और क्या मंत्री और सरकार के जिम्मेदार अफसरों ने स्वीकृति देने से पहले जांच पड़ताल की?
 
डोटासरा ने 'एक्स' पर लिखा,“किताबों से पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान को मिटाना केवल पाठ्यक्रम में बदलाव नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में विचार निर्माण की दिशा को बदलने का प्रयास है. ये अमिट योगदान पाठ्यक्रम से हटाकर छात्रों से इतिहास और सच्चाई छिपाना चाहती है?”