दिल्ली: हनुमान मंदिर के सेवक यूसुफ, नफरत के दौर में बांट रहे भाईचारा

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 27-04-2022
दिल्ली: हनुमान मंदिर के सेवक यूसुफ, नफरत के दौर में बांट रहे भाईचारा
दिल्ली: हनुमान मंदिर के सेवक यूसुफ, नफरत के दौर में बांट रहे भाईचारा

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

अभी जब देष के विभिन्न हिस्स में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का खेल चल रहा है, ऐसे माहौल में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेष कर रहे हैं मोहम्मद यूसुफ.युसूफ दिल्ली के तीस हजार कोर्ट के हनुमान मंदिर के सेवक हैं. वह मंदिर निर्माण के दौरान इसके ठेकेदार भी थे. इसके निर्माण के लिए मजदूरी तक नहीं ली थी. उन्होंने मंदिर के पेंटिंग, वेल्डिंग आदि का सारा काम खुद किया है.न्यूज चैनल एनडीटीवी तीस हजारी कोर्ट के इस मंदिर के मुस्लिम सेवक पर एक रिपोर्ट भी प्रसारित कर चुका है.

यूसुफ पिछले 10साल से हनुमान मंदिर में बतौर सेवक काम कर रहे हैं. वह बिहार के सुपौल के रहने वाले हैं.यूसुफ ने बताया कि वह मंदिर के ठेकेदार रहे हैं. इसे बनाने में उन्होंने भरपूर सहयोग दिया. बदले पैसे भी नहीं लिए.

उन्होंने कहा कि वह मंदिर की देखभाल करते हैं. इसकी सफाई, व्यवस्था भी इनकी ही जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि षुरूआत में कुछ लोगों ने उनके मुस्लिम होने के कारण मंदिर के सेवक होने पर आपत्ति जताई थी. बाद में सब सामान्य हो गया. अब तो मंदिर की चाबी भी इनके पास ही रहती है.

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उनका कहना है कि मंदिर और मस्जिद में कोई अंतर नहीं . इसी तरह हिंदू एवं मुस्लिम में कोई अंतर नहीं. लोग सिर्फ समस्याएं पैदा करते हैं. हिन्दुओं को इस्लाम में परिवर्तित करने से कोई लाभ नहीं है, केवल हानि है.

यूसुफ के बारे में कोर्ट के वकीलों का कहना है कि जब हनुमानजी को इनसे कोई आपत्ति नहीं तो हम कौन होते हैं ?तीस हजारी कोर्ट के एडवोकेट यशपाल सिंह का कहना है कि अदालत में मुस्लिम भाई कायम है.

हमने कभी उनसे खुद को अलग महसूस नहीं किया. खासकर जब युसूफ भाई की बात आती है. उन्होंने न केवल मंदिर का निर्माण कराया इसकी सुरक्षा जिम्मा भी उनके पास ही है. यूसुफ ने मंदिर के निर्माण के लिए भुगतान तक नहीं लिया था. मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति यूसुफ ने ही स्थापित की थी.

जब हनुमानजी को युसूफ भाई से कोई आपत्ति नहीं है तो हमें क्यों हो सकती है? धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें सजाने वालों को तीस हजारी कोर्ट के हनुमान मंदिर से सीख लेनी चाहिए.