Delhi pollution: The government will have to take effective steps in the coming year to find a permanent solution.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
आगामी वर्ष 2026 में दिल्ली सरकार के सामने वायु प्रदूषण की समस्या से निपटना सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रहेगा।
सरकार ने हालांकि प्रदूषण से निपटने के लिए कई उपाय भी शुरू किए हैं, जिनमें क्लाउड-सीडिंग परीक्षण, एंटी-स्मॉग गन और मिस्ट स्प्रेयर की तैनाती शामिल है।
दिल्ली का वायु प्रदूषण सरकार के लिए एक चुनौती बना हुआ है, खासकर सर्दियों के महीनों में, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अक्सर 300 के अंक को पार कर जाता है और कई दिनों तक 'गंभीर' श्रेणी में 400 से भी ऊपर पहुंच जाता है।
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं, जिनमें कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के सहयोग से एक पायलट क्लाउड-सीडिंग परियोजना भी शामिल है। राष्ट्रीय राजधानी में इस साल 20 फरवरी को भाजपा की सरकार बनी थी।
दिल्ली सरकार ने सात मई को 3.21 करोड़ रुपये की कुल लागत से पांच क्लाउड सीडिंग परीक्षण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी और बाद में 25 सितंबर को परीक्षणों को पूरा करने के लिए आईआईटी-कानपुर के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
लेकिन, प्रतिकूल मौसम और मानसून की स्थिति के कारण अभ्यास को कई बार स्थगित करना पड़ा।
उन्होंने बताया कि 1957 और 1971-72 के बाद यह तीसरा प्रयास था, और लगभग 50 वर्षों के अंतराल के बाद 13 विभागों से मंजूरी मिलने के बाद अक्टूबर के अंत में नवीनतम क्लाउड-सीडिंग परीक्षण किए गए।
दिल्ली सरकार ने अक्टूबर में धुंध के मौसम से पहले, 2025-26 के लिए 'शीतकालीन वायु प्रदूषण नियंत्रण कार्य योजना' भी शुरू की।
यह कार्य योजना एक व्यापक 17-सूत्रीय ढांचा है, जिसका उद्देश्य धूल, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, निर्माण प्रदूषण, अपशिष्ट जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन से निपटना है।