कोविड ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले प्रिंसिपल के परिजनों को 1 करोड़ रुपये मुआवज़ा देने का हाईकोर्ट का आदेश

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 05-09-2025
Delhi High Court orders Rs 1 crore compensation to the family of the principal who lost his life while on Covid duty
Delhi High Court orders Rs 1 crore compensation to the family of the principal who lost his life while on Covid duty

 

नई दिल्ली

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक स्कूल प्रिंसिपल की विधवा को राहत देते हुए दिल्ली सरकार को 1 करोड़ रुपये का अनुग्रह (ex-gratia) मुआवजा देने का निर्देश दिया है। यह फैसला उस मामले में आया है, जिसमें उनके पति की कोविड-19 ड्यूटी के दौरान संक्रमण से मृत्यु हो गई थी।

मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा,“हमें इस निष्कर्ष पर पहुँचने में कोई संकोच नहीं है कि अपीलकर्ता के दिवंगत पति की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु, कोविड-19 ड्यूटी निभाते हुए वायरस के संक्रमण के कारण हुई थी।”

क्या था मामला ?

शिवनाथ प्रसाद, जो मई 1993 से दिल्ली सरकार के तहत शिक्षक के रूप में कार्यरत थे, निठारी स्थित एमसीडी प्राइमरी बॉयज स्कूल के प्रधानाध्यापक थे। अप्रैल 2021 में उन्हें कोविड-19 ड्यूटी सहित विभिन्न जिम्मेदारियों के लिए तैनात किया गया था।24 अप्रैल 2021 को उन्होंने कोविड-19 पॉजिटिव होने की रिपोर्ट दी और 28 अप्रैल 2021 को उनका निधन हो गया।

मई 2020 में दिल्ली सरकार ने एक योजना लागू की थी, जिसके तहत यदि कोई सरकारी अधिकारी/कर्मी कोविड ड्यूटी करते हुए संक्रमण के कारण मृत्यु को प्राप्त होता है, तो उनके परिजनों को 1 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी।

विधवा की याचिका पहले खारिज हुई थी

शिवनाथ प्रसाद की पत्नी द्वारा जब यह मुआवजा पाने के लिए आवेदन किया गया, तो शिक्षा विभाग के उप निदेशक ने कुछ आपत्तियों के आधार पर फाइल को रोक दिया और मुआवजा स्वीकृत नहीं किया।इसके बाद, उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया लेकिन एकल पीठ (सिंगल जज) ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनकी ड्यूटी को "कोविड ड्यूटी" नहीं माना जा सकता।

खंडपीठ ने साक्ष्यों पर दिया ध्यान

खंडपीठ ने अप्रैल 2023 में स्कूल प्रिंसिपल द्वारा जारी किए गए एक पत्र का संज्ञान लिया, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख था कि दिवंगत प्रधानाध्यापक कोविड वैक्सीनेशन जैसे कार्यों में शामिल थे।

न्यायालय ने कहा:“यह स्पष्ट है कि उनकी मृत्यु कोविड ड्यूटी के दौरान संक्रमण के कारण हुई और यह न केवल संबंधित है, बल्कि प्रत्यक्ष रूप से उन जिम्मेदारियों के निर्वहन से जुड़ी है।”

अदालत की टिप्पणी

कोर्ट ने कहा कि मई 2020 की नीति एक कल्याणकारी उपाय थी, जिसे उन लोगों को सम्मानित करने के लिए लाया गया था जिन्होंने महामारी के दौरान जरूरी सेवाएं दीं और अपनी जान गंवाई।

“ऐसी लाभकारी नीतियों की समीक्षा करते समय अत्यधिक तकनीकी या संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं अपनाया जाना चाहिए। आवेदन की गहन जांच जरूरी है, लेकिन नीति के मूल उद्देश्य को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।”

सरकार को निर्देश

अदालत ने आदेश दिया कि दिल्ली सरकार:अप्रैल 2023 में जारी स्कूल के पत्र को ध्यान में रखते हुए,विधवा के आवेदन पर दोबारा विचार करे और 8 हफ्तों के भीतर 1 करोड़ रुपये की राशि जारी करे।अगर तय समयसीमा के भीतर राशि नहीं दी जाती है, तो सरकार को उस पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा।