नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को बांध विरोधी कार्यकर्ता भानु तातक द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। तातक ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उन्हें पढ़ाई के लिए विदेश जाने से गलत तरीके से रोका गया।
याचिका की सुनवाई से इनकार का कारण
दूसरी ओर, केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे स्थायी वकील आशीष दीक्षित ने तर्क दिया कि यह याचिका दिल्ली हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता अरुणाचल प्रदेश में कई आपराधिक मामलों का सामना कर रही हैं और लुक आउट सर्कुलर (LOC) ईटानगर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) के अनुरोध पर जारी किया गया था।
न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा की पीठ ने सरकार के तर्कों से सहमति जताते हुए कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के पास इस मामले की सुनवाई के लिए क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र (territorial jurisdiction) नहीं है। अदालत ने याचिकाकर्ता को उचित राहत के लिए अरुणाचल प्रदेश हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया और तदनुसार याचिका को खारिज कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
30 वर्षीय अरुणाचल प्रदेश निवासी भानु तातक ने इस महीने की शुरुआत में तब अदालत का रुख किया, जब उन्हें दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (IGI) हवाई अड्डे पर आव्रजन अधिकारियों द्वारा डबलिन जाने वाली उड़ान में चढ़ने से रोक दिया गया था।
याचिका के अनुसार, तातक को 7 सितंबर, 2025 को डबलिन सिटी यूनिवर्सिटी में तीन महीने के कोर्स के लिए आयरलैंड जाना था। एक वैध निमंत्रण पत्र और यात्रा दस्तावेज होने के बावजूद, उन्हें आव्रजन अधिकारियों ने बताया कि उनके खिलाफ एक लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी किया गया है, जिसके कारण वह उड़ान नहीं भर सकतीं। याचिका में कहा गया है कि बार-बार अनुरोध करने के बावजूद, उन्हें या उनके परिवार के सदस्यों को कभी भी एलओसी की प्रति नहीं दी गई।
तातक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने तर्क दिया कि आव्रजन विभाग द्वारा लगाया गया यह प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई मनमानी और अनुचित थी, क्योंकि यह शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए विदेश यात्रा करने की उनकी स्वतंत्रता में बाधा डाल रही थी।