ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने ऑनलाइन व्यापक बहस छेड़ दी है, जहां नेटिज़न्स ने इस फैसले के पक्ष और विपक्ष में तीखी राय साझा की है.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और नोएडा, गुरुग्राम, और गाजियाबाद के नगर निकायों को आदेश दिया है कि वे आठ हफ्तों के भीतर आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी करें और उन्हें स्थायी आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करें. इसके साथ ही, आदेश में यह भी चेतावनी दी गई कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन इस अभियान में रुकावट डालने की कोशिश करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
— Saket Gokhale MP (@SaketGokhale) August 12, 2025
आदेश का स्वागत और विरोध
रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएट्स ने इस आदेश का स्वागत किया, लेकिन कुछ पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने इसकी तीव्र आलोचना की है.
— Karti P Chidambaram (@KartiPC) August 11, 2025
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम का समर्थन
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का समर्थन करते हुए इसे "गंभीर और ठोस कार्रवाई की शुरुआत" करार दिया.
टीएमसी सांसद साकेत गोखले का विरोध
टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने इस आदेश को "क्रूर और अमानवीय" बताया और इसे एक बड़ी पीठ द्वारा पुनः समीक्षा करने की अपील की. उनका कहना था कि यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिसे बिना किसी व्यापक परामर्श प्रक्रिया के हल किया जा सकता है.
लेखक सुहेल सेठ का विरोध
लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता सुहेल सेठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत और अमानवीय बताया और कहा कि इस मुद्दे पर पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए.
— Simi_Garewal (@Simi_Garewal) August 11, 2025
अभिनेता वीर दास और सिमी गरेवाल का समर्थन
अभिनेता वीर दास ने "मानवता" का हवाला देते हुए दिल्ली-एनसीआर के निवासियों से कुत्तों को गोद लेने की अपील की. वहीं, लेखक सिमी गरेवाल ने याचिका पर हस्ताक्षर करने की अपील की और आरोप लगाया कि अधिकारी आवारा कुत्तों को आश्रय की आड़ में मार डालेंगे.
— Vir Das (@thevirdas) August 12, 2025
पेटा इंडिया का विरोध
पेटा इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इस आदेश से समुदायों में हंगामा मच जाएगा, क्योंकि कई लोग इन कुत्तों को अपना परिवार मानते हैं. पेटा का कहना था कि कुत्तों को विस्थापित करने से स्थिति और बिगड़ेगी, और इससे कुत्तों की आबादी या सुरक्षा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
नेटिज़न्स की प्रतिक्रियाएँ
कुछ नेटिज़न्स ने इस फैसले का विरोध करते हुए लिखा:
हालाँकि, कुछ यूज़र्स ने इस आदेश का समर्थन भी किया और इसे उचित ठहराया.
फैसले का प्रभाव
दिल्ली और पूरे भारत में इस आदेश का प्रभाव उन समुदायों पर भी पड़ सकता है, जो इन कुत्तों को अपना हिस्सा मानते हैं. साथ ही, कुत्तों के आश्रय स्थलों में भेजने की प्रक्रिया के दौरान उनके साथ होने वाली क्रूरता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.
अंततः, क्या समाधान है?
आवारा कुत्तों के प्रबंधन और उनके भविष्य के लिए न्यायपालिका का यह कदम एक बड़ी बहस का हिस्सा बन गया है. क्या यह कदम वास्तव में समस्या का समाधान लाएगा या यह केवल एक अस्थायी उपाय होगा, यह समय बताएगा.