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साइप्रस के विदेश मंत्री कॉन्स्टेंटिनोस कोम्बोस ने कहा कि भारत तेजी से बदलती बहुध्रुवीय दुनिया में एक प्रमुख वैश्विक आवाज़ के रूप में उभर रहा है और साइप्रस नयी दिल्ली को केवल एक पुराने मित्र के रूप में नहीं, बल्कि भविष्य के सहयोग और साझेदारी के लिए एक स्वाभाविक साझेदार के रूप में देखता है।
कोम्बोस ने एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में यह भी कहा कि यूरोपीय संघ-भारत मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) न केवल यूरोप और भारत के बीच संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि साइप्रस और अन्य यूरोपीय देशों के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर भी पैदा करेगा।
55वें सप्रू हाउस व्याख्यान में उन्होंने कहा, “भारत एक वैश्विक महाशक्ति है। इसका समृद्ध इतिहास और संस्कृति इसकी अद्वितीय क्षमता को दर्शाती है।” उन्होंने साइप्रस और भारत के बीच सहयोग की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला।
कोम्बोस ने वैश्विक चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि विखंडन, अस्थिरता, आर्थिक मंदी, कोविड-19 संकट, मुद्रास्फीति, रूस-यूक्रेन युद्ध, गाजा की स्थिति, लाल सागर में खतरे और ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाएँ विश्व व्यवस्था के लिए जोखिम पैदा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथ, आतंकवाद और अतिवाद आज वैश्विक वास्तविकता हैं, और ऐसे समय में भारत जैसे देशों के साथ सहयोग और साझेदारी आवश्यक है।
उन्होंने जोर देकर कहा, “इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में, हम भारत को एक प्राकृतिक सहयोगी और साझेदार के रूप में देखते हैं।”
विदेश मंत्री कोम्बोस 29 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं, और इस दौरान उन्होंने दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा की।
