राजस्थानः मजबूत इम्यूनिटी माने जाने वाली मुस्लिम कायमखानी बिरादरी के युवा क्यों हुए कोरोना पाॅजेटिव, आइए जानें

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 26-05-2021
कोरोना पीड़ितों की मदद कर रहे शेखावटी जवान
कोरोना पीड़ितों की मदद कर रहे शेखावटी जवान

 

अशफाक कायमखानी / सीकर

भारत भर में कोराना की दूसरी लहर के प्रकोप ने शहरों के साथ गावों को भी अपनी चपेट में ले लिया है. इसका असर शेखावाटी जनपद और उसके साथ लगते नागौर जिले के डीडवाना व लाडनू उपखंड में भी नजर आने लगा है. कोरोना की दूसरी लहर ने खासतौर पर देहातों में रहने वाली देसी खाद्यको खुराक में शामिल करने वाली मजबूत इम्यूनिटी पावर वाली जाट व मुस्लिम कायमखानी बिरादरी को भी बड़ी मात्रा में प्रभावित किया है.

इन क्षेत्र के अधिकांश गावों में रहने वाली जाट व कायमखानी बिरादरी में कोविड का संक्रमण बढ़ने के अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन उनमें से एक प्रमुख कारण है कि जनवरी-फरवरी व मार्च महीने में इन बिरादरियों में शादियों का सिलसिला काफी चला.

सरकारी पाबंदियों के बावजूद स्थानीय जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों की उदासीनता के चलते शादियों मे कोराना काल के पहले होने वाली शादियों की तरह ही भीड़ जमा की गई. सरकारी कोविड गाइडलाइंस के आदेश के अनुसार अधिकतम 50 लोगों की उपस्थिति का ख्याल न रखना इन शादियों में मुसीबत बना. इन अवसरों पर भीड़ जमा होने से कोराना वायरस का आदान-प्रदान आसानी से हुआ.

फरवरी व मार्च में गावों में  अधिक उम्र के लोगों की मृत्यु भी हुई, लेकिन सबने उन मौतों को साधारण व दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मोतें माना. उस समय कोराना जांच का चलन एक तरह से काफी ठंडा पड़ चुका था. जो लोग विदेश जा रहे थे या जिनको आवश्यक था, वही कोराना टेस्ट उस समय करवा रहे थे.

हालांकि जाट व कायमखानी बिरादरी के अलावा अन्य बिरादरी के लोग भी कोराना की दूसरी लहर से संक्रमित हुये हैं, लेकिन इसका कारण यह भी रहा कि कोराना के प्रकोप के दौरान जाट व कायमखानी बिरादरी के युवाओं द्वारा कोराना की चपेट में आने से बेखौफ होकर मदद करते रहे. वे संक्रमित और जरूरतमंदों को अस्पताल में भर्ती करवाने, जगह-जगह ऑक्सीजन व प्लाज्मा उपलब्ध करवाने और कोराना केयर सेंटर कायम करने में सक्रिय रहे. उन्होंने सरकारी संस्थानों में प्रशासन द्वारा स्थापित किये जा रहे आक्सीजन प्लांट में आर्थिक मदद करने व करवाने जैसे अनेक सेवा के काम जितनी शिद्दत व मेहनत के साथ किये हैं, उसी के परिणाम को आज कोराना कमजोर पड़ने के रूप में हम देख रहे हैं.

कुल मिलाकर यह है कि जाट व कायमखानी बिरादरी के युवाओं ने अप्रेल व मई माह के मध्य तक कोराना के भंयकर के प्रकोप में खिदमत-ए-खल्क का तन, मन व धन लगाकर जो रूप पेश किया है. उसकी जितनी तारीफ की जाये, वो बहुत कम हांकी जायेगी.

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कोरोना नायक

इसी तरह राजनीतिक तौर पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया, दांतारामगढ़ विधायक विरेन्द्र सिंह, सुधीर महरिया संस्थान के पूर्व विधायक नंद किशोर महरिया, फतेहपुर विधायक हाकम अली खान, पूर्व मंत्री यूनुस खान ने जिस तरह से प्रभावित व संक्रमित लोगों की अस्पताल में बेड दिलवाने, आक्सीजन व अन्य चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने, संक्रमित व प्रभावित लोगों का मनोबल बढ़ाये रखने एवं चुपचाप आर्थिक मदद व अंश दान करने का जो प्रभावी कार्य अंजाम दिया है, उसकी जितनी सहरायना की जाये, वो कम होगी.