CBI ने ट्रांसनेशनल साइबर फ्रॉड केस में 4 विदेशी नागरिकों सहित 17 लोगों और 58 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 14-12-2025
CBI files chargesheet against 17, including 4 foreign nationals, 58 companies in transnational cyber fraud case
CBI files chargesheet against 17, including 4 foreign nationals, 58 companies in transnational cyber fraud case

 

नई दिल्ली

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भारत के कई राज्यों में चल रहे एक बड़े, सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का पर्दाफाश करने के बाद चार विदेशी नागरिकों और 58 कंपनियों सहित 17 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है।
 
अक्टूबर 2025 में, तीन मुख्य भारतीय सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था। केंद्रीय एजेंसी के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, जांच से पता चला है कि एक ही समन्वित सिंडिकेट ने हजारों भोले-भाले नागरिकों को गुमराह करने वाले लोन ऐप, फर्जी निवेश योजनाओं, पोंजी और MLM मॉडल, फर्जी पार्ट-टाइम नौकरी के प्रस्तावों और धोखाधड़ी वाले ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से धोखा देने के लिए एक व्यापक डिजिटल और वित्तीय बुनियादी ढांचा बनाया था।
 
यह मामला गृह मंत्रालय के I4C से प्राप्त इनपुट के आधार पर दर्ज किया गया था, जिसमें संकेत दिया गया था कि बड़ी संख्या में नागरिकों को ऑनलाइन निवेश और रोजगार योजनाओं के माध्यम से धोखा दिया जा रहा है। हालांकि शुरू में ये अलग-अलग शिकायतें लग रही थीं, लेकिन CBI द्वारा विस्तृत विश्लेषण से इस्तेमाल किए गए एप्लिकेशन, फंड-फ्लो पैटर्न, पेमेंट गेटवे और डिजिटल फुटप्रिंट में चौंकाने वाली समानताएं सामने आईं, जो एक सामान्य, संगठित साजिश की ओर इशारा करती हैं।
 
जांच से पता चला कि साइबर अपराधियों ने गूगल विज्ञापनों, बल्क SMS अभियानों, SIM-बॉक्स आधारित मैसेजिंग सिस्टम, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर, फिनटेक प्लेटफॉर्म और कई फर्जी बैंक खातों का उपयोग करते हुए एक अत्यधिक स्तरित और प्रौद्योगिकी-संचालित कार्यप्रणाली अपनाई थी। 
 
ऑपरेशन का हर चरण - पीड़ितों को लुभाने से लेकर धन के संग्रह और हस्तांतरण तक - वास्तविक नियंत्रकों की पहचान छिपाने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा पता लगाने से बचने के लिए जानबूझकर संरचित किया गया था।
CBI की जांच ने फर्जी निदेशकों, जाली या गुमराह करने वाले दस्तावेजों, फर्जी पतों और व्यावसायिक उद्देश्यों के झूठे बयानों का उपयोग करके स्थापित 111 शेल कंपनियों के रूप में धोखाधड़ी नेटवर्क की रीढ़ का पर्दाफाश किया।  
 
इन शेल एंटिटीज़ का इस्तेमाल अलग-अलग पेमेंट गेटवे के साथ बैंक अकाउंट और मर्चेंट अकाउंट खोलने के लिए किया गया था, जिससे अपराध की कमाई को तेज़ी से लेयरिंग और डायवर्ट किया जा सके। 
 
सैकड़ों बैंक अकाउंट के एनालिसिस से पता चला कि इन अकाउंट के ज़रिए 1,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रकम भेजी गई थी, जिसमें अकेले एक अकाउंट में ही कम समय में 152 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रकम आई थी।
 
कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, झारखंड और हरियाणा में 27 जगहों पर तलाशी ली गई। 
 
इन तलाशी के दौरान, CBI ने डिजिटल डिवाइस, दस्तावेज़ और फाइनेंशियल रिकॉर्ड ज़ब्त किए, जिनकी बाद में डिटेल में फोरेंसिक जांच की गई। एनालिसिस से पता चला कि विदेशी नागरिकों के व्यापक कम्युनिकेशन लिंक थे और वे विदेश से ही फ्रॉड नेटवर्क को कंट्रोल कर रहे थे।
 
खास बात यह है कि दो भारतीय आरोपियों के बैंक अकाउंट से जुड़ी एक UPI ID अगस्त 2025 तक एक विदेशी लोकेशन पर एक्टिव पाई गई, जिससे यह पक्का हो गया कि भारत के बाहर से फ्रॉड इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगातार विदेशी कंट्रोल और रियल-टाइम ऑपरेशनल निगरानी रखी जा रही थी।
 
जांच में यह साबित हुआ कि 2020 से, विदेशी हैंडलर, यानी ज़ू यी, हुआन लियू, वेइजियान लियू और गुआनहुआ वांग के कहने पर भारत में शेल कंपनियाँ बनाई गईं।
 
उनके भारतीय साथियों ने अनजान लोगों से पहचान दस्तावेज़ हासिल किए और उनका इस्तेमाल कंपनियाँ बनाने और बैंक अकाउंट खोलने के लिए किया। फिर इन एंटिटीज़ का इस्तेमाल साइबर फ्रॉड से मिले पैसे को चैनल करने के लिए किया गया, जिसे कई अकाउंट और प्लेटफॉर्म पर लेयर किया गया ताकि पैसे के लेन-देन और असली लाभार्थियों का पता न चल सके।
 
CBI ने चार विदेशी मास्टरमाइंड, उनके भारतीय साथियों और इस साज़िश में शामिल 58 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है।
 
आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साज़िश, जालसाज़ी, जाली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल और अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम, 2019 के तहत मुकदमा शुरू किया गया है।
यह मामला ऑपरेशन चक्र-V के तहत संगठित और अंतरराष्ट्रीय साइबर-आधारित वित्तीय अपराधों के खिलाफ CBI की लगातार कार्रवाई का हिस्सा है।