आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
भारतीय किसान उर्वरक सहकारी संस्था लिमिटेड (इफको) के प्रबंध निदेशक के जे पटेल ने वित्त वर्ष 2025-26 में शुद्ध लाभ में 10 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया है।
यह अनुमान ऐसे समय में सामने आया है, जब इफको को अपने प्रमुख नैनो उर्वरकों को देश में अपेक्षित स्तर तक अपनाए जाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है और संस्था किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को तेज कर रही है।
'पीटीआई-भाषा' को दिए एक साक्षात्कार में पटेल ने कहा कि उनकी रणनीति का केंद्र इफको की सबसे बड़ी ताकत 36 हजार सहकारी संस्थाओं और पांच करोड़ से अधिक किसानों के साथ उसका स्थायी संबंध है।
हाल ही में उन्होंने 32 वर्षों तक प्रबंध निदेशक रहे यू एस अवस्थी से कार्यभार संभाला है। पटेल इफको से चार दशक से जुड़े हुए हैं।
पटेल ने कहा, ''हमारा उद्देश्य केवल उर्वरकों का निर्माण करना नहीं है, बल्कि किसानों तक यह जानकारी भी पहुंचाना है कि उनका उपयोग कैसे और कब किया जाए।''
उन्होंने मिट्टी के अनुसार सलाह और गुणवत्तापूर्ण बीजों के प्रयोग पर जोर देते हुए इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य से जोड़ा।
चार वर्ष पहले शुरू किए गए नैनो उर्वरक इफको की सबसे बड़ी नवाचार पहल होने के साथ-साथ सबसे बड़ी चुनौती भी बने हुए हैं। चालू वर्ष में नैनो यूरिया की बिक्री 1.45 करोड़ बोतल और नैनो डीएपी की बिक्री 65 लाख बोतल रही, जो आठ करोड़ बोतल के लक्ष्य से काफी कम है।
नैनो उर्वरक को रासायनिक उर्वरकों का पर्यावरण-अनुकूल विकल्प माना जाता है। पटेल ने इफको की वार्षिक 29 करोड़ बोतल उत्पादन क्षमता के मुकाबले मात्र 15 प्रतिशत उपयोग पर असंतोष जताया।
उन्होंने कहा कि जागरूकता की कमी और पत्तियों पर छिड़काव जैसी तकनीकी कठिनाइयों के कारण अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और किसानों द्वारा किए गए परीक्षणों में पैदावार को लेकर असंगत परिणाम सामने आए हैं, साथ ही मिट्टी और खाद्य श्रृंखला की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठे हैं।