नई दिल्ली
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की 30वीं वेल्थ क्रिएशन स्टडी के अनुसार, भारत आर्थिक विस्तार के एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहा है, जो आने वाले दो दशकों में संपत्ति सृजन की दिशा को नया रूप दे सकता है।
अध्ययन में पिछले 17 वर्षों से प्रेरणा ली गई है, जिनमें भारत की अर्थव्यवस्था 2008 में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2025 में 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई। इसी आधार पर रिपोर्ट का अनुमान है कि 2025 से 2042 के बीच अगले 17 वर्षों में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) चार गुना बढ़कर 16 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।
अध्ययन के अनुसार, संपत्ति सृजन की गति और पैमाने में तेज़ बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। जहां पिछले 17 वर्षों में GDP में 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई थी, वहीं आगामी चरण में 12 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होने की संभावना है, यानी पूर्ण मूल्य के हिसाब से चार गुना विस्तार। इस बड़े पैमाने पर होने वाला आर्थिक विस्तार एक मजबूत “वेल्थ इफेक्ट” पैदा करेगा, जिससे उपभोग, निवेश और कॉरपोरेट मुनाफे में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।
इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभ वित्तीय सेवा क्षेत्र को मिलने की संभावना है। अध्ययन के अनुसार, अगले 17 वर्षों में घरेलू बचत का कुल आकार लगभग 47 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है, जिससे BFSI (बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा) क्षेत्र के लिए बड़े अवसर पैदा होंगे। वेल्थ मैनेजमेंट कंपनियां, एसेट मैनेजमेंट कंपनियां, स्टॉक ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म, कैपिटल मार्केट मध्यस्थ, NBFCs, बैंक और बीमा कंपनियां इन बचतों को उत्पादक निवेशों में लगाने में अहम भूमिका निभाएंगी।
आय स्तरों में वृद्धि भी एक प्रमुख संरचनात्मक कारक है। भारत की प्रति व्यक्ति GDP के मौजूदा लगभग 2,600 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2042 तक करीब 10,400 अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है। इस आय परिवर्तन से आबादी का बड़ा हिस्सा उच्च उपभोग वर्ग में प्रवेश करेगा, जिससे उपभोक्ता विवेकाधीन (कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी) क्षेत्रों को लंबे समय तक मजबूती मिलेगी।
रिपोर्ट के अनुसार, व्हाइट गुड्स, क्विक कॉमर्स, फूड-टेक प्लेटफॉर्म, यात्रा और पर्यटन, टेलीकॉम सेवाएं, हेल्थकेयर और उससे जुड़ी सेवाओं जैसी श्रेणियों में मांग में तेज़ विस्तार देखने को मिलेगा। आय बढ़ने के साथ आवश्यकताओं से जीवनशैली-आधारित उपभोग की ओर झुकाव और अधिक स्पष्ट होगा।
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भी बड़े अवसर दिखते हैं। अध्ययन बताता है कि कार, SUV, दो-पहिया और तीन-पहिया वाहनों की पैठ भारत में अभी भी समान प्रति व्यक्ति आय वाले अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। जैसे-जैसे वहनीयता बढ़ेगी और फाइनेंसिंग का दायरा विस्तृत होगा, शहरी और अर्ध-शहरी बाजारों में वाहन स्वामित्व लगातार बढ़ने की संभावना है।
रियल एस्टेट क्षेत्र को भी संपत्ति सृजन के अगले चरण से लाभ मिलने की उम्मीद है। अध्ययन में विशेष रूप से प्रीमियम और लग्ज़री हाउसिंग सेगमेंट में भरोसेमंद डेवलपर्स की मजबूत मांग पर जोर दिया गया है। बढ़ती घरेलू संपत्ति, बेहतर वहनीयता और उच्च गुणवत्ता वाले आवास की बढ़ती पसंद इस क्षेत्र में टिकाऊ मांग को समर्थन देगी।
कुल मिलाकर, अध्ययन यह रेखांकित करता है कि अगले 17 वर्ष भारत की अर्थव्यवस्था और संपत्ति निर्माण की दिशा में एक बड़ा परिवर्तनकारी दौर साबित हो सकते हैं। बड़े आधार पर हो रहा GDP विस्तार पहले की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली वेल्थ इफेक्ट पैदा करेगा, जिससे वित्तीय क्षेत्र, उपभोग-आधारित उद्योगों, ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में दीर्घकालिक अवसर सामने आएंगे।






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