ब्रेकिंग: जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 13-12-2024
Breaking: Impeachment motion presented in Rajya Sabha against Justice Shekhar Kumar Yadav
Breaking: Impeachment motion presented in Rajya Sabha against Justice Shekhar Kumar Yadav

 

आवाज द वाॅयस/नई दिल्ली

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ आज राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया.इस प्रस्ताव पर 55 राज्यसभा सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं, जो महाभियोग लाने के लिए आवश्यक 50 सांसदों की संख्या से अधिक हैं.

कपिल सिब्बल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने महाभियोग प्रस्ताव प्रस्तुत किया.इस प्रतिनिधिमंडल में सांसद विवेक तन्खा, दिग्विजय सिंह, पी. विल्सन, जॉन ब्रिटास और के.टी.एस. तुलसी शामिल थे.

यह महाभियोग प्रस्ताव जस्टिस यादव द्वारा पिछले रविवार को प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में दिए गए भाषण के कारण लाया गया है.प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि जस्टिस यादव का भाषण "भड़काऊ, पूर्वाग्रही और सीधे तौर पर अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाने वाला" था.

महाभियोग प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि जस्टिस यादव ने यह टिप्पणी की थी कि देश को बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलाया जाएगा. साथ ही मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए और "कठमुल्ला" शब्द का उपयोग किया.

इसे न्यायाधीश के रूप में उनकी शपथ और संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का उल्लंघन माना गया.उनके इस कथन पर भी आपत्ति जताई गई कि मुस्लिम बच्चों से दयालुता की उम्मीद नहीं की जा सकती, क्योंकि वे छोटी उम्र में ही जानवरों के वध के संपर्क में आ जाते हैं.

प्रस्ताव में यह भी आरोप लगाया गया है कि जस्टिस यादव ने विभाजनकारी और पूर्वाग्रही बयान देकर न्यायपालिका में जनता के विश्वास को नुकसान पहुंचाया है.राम जन्मभूमि आंदोलन पर उनके बयान को राजनीतिक बताया गया और यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाला माना गया.

प्रस्ताव में यह कहा गया कि ऐसे बयान न्यायपालिका की तटस्थता और अधिकारों के रक्षक के रूप में उसकी भूमिका को खतरे में डालते हैं, जिससे वादी में अदालत पर विश्वास पूरी तरह से समाप्त हो जाता है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4), 124(5), 217(1)(बी) और 218 के तहत किसी न्यायाधीश को न्यायिक नैतिकता, निष्पक्षता और न्यायपालिका में जनता के विश्वास को कमजोर करने वाले कार्यों के आधार पर पद से हटाया जा सकता है.सीजेआई संजीव खन्ना के समक्ष दायर कई शिकायतों के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव के भाषण के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से रिपोर्ट मांगी है.