आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी, जब्ती और जांच प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस एक्ट के तहत किसी आरोपी की गिरफ्तारी गलत नहीं है.
यानी ईडी की जांच प्रक्रिया में जरूरत पड़ने पर किसी को गिरफ्तार करना गलत नहीं है. ईडी जांच प्रक्रिया के दौरान जरूरत पड़ने पर किसी को गिरफ्तार कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह उचित है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) गिरफ्तारी के समय गिरफ्तारी के आधार का खुलासा करे.
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट (ईसीआईआर) को एफआईआर से नहीं जोड़ा जा सकता है. ईसीआईआर प्रवर्तन निदेशालय का एक आंतरिक दस्तावेज है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आरोपी को ईसीआईआर देना अनिवार्य नहीं है. गिरफ्तारी के दौरान कारणों का खुलासा करना ही काफी है.
सुप्रीम कोर्ट ने आज कांग्रेस नेता कीर्ति चिदंबरम, राकांपा नेता अनिल देशमुख और अन्य द्वारा दायर लगभग 242अपीलों पर अपना फैसला सुनाया. सभी याचिकाओं में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी. जस्टिस एएम खानोलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने फैसला सुनाया.
इस मामले में पीएमएलए संशोधन के संभावित दुरुपयोग से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर कपिल सिब्बल, अभिषेक मनोसिंघवी और मुकुल रोहतगी समेत कई वरिष्ठ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा था.